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    Garuda Purana: इन पूज्य जनों का अपमान करना है व्यक्ति के लिए विनाशकारी, वैतरणी में मिलती है इस कर्म की सजा

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Fri, 27 Jan 2023 07:30 PM (IST)

    Garuda Purana हिन्दू धर्म में गरुड़ पुराण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जो लोग इस महापुराण में बताए गए नियमों का पालन कर अपना जीवन व्यतीत करते है ...और पढ़ें

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    Garuda Purana: गरुड़ पुराण में दी गई इस शिक्षा का सदैव रखें ध्यान।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Garuda Purana: गरुड़ पुराण को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इस महापुराण में भगवान विष्णु ने अपने प्रिय वाहन गरुड़ देव को जीवन, मरण, पुण्य और पाप के विषय में विस्तार से बताया है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि मनुष्य को अपने जीवन काल में किन-किन कर्मों के कारण नर्क अथवा स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है। गरुड़ पुराण के अनुसत व्यक्ति अपने जीवन काल में जिस तरह के कर्म करता है, उसी के आधार पर मृत्यु के बाद उसे मोक्ष या नर्क की प्राप्ति होती है। इस महापुराण में भगवान विष्णु ने बताया है कि व्यक्ति को अपने जीवन इन पांच लोगों का अपमान कभी नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका अपमान करना व्यक्ति के लिए विनाशकारी हो सकता है। आइए जानते हैं-

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    गरुड़ पुराण- कभी भी इन लोगों का न करें अपमान

    मातरं येऽवामन्यन्ते पितरं गुरुमेव च ।

    आचार्यं चापि पूज्यं च तस्यां मज्जन्ति ते नराः ।।

    अर्थात- जो व्यक्ति माता-पिता, गुरु, आचार्य तथा पूज्यजनों को अपमानित करता है। वह मृत्यु के बाद वैतरणी में समा जाता है।

    इस श्लोक के माध्यम से श्रीहरि बता रहे हैं व्यक्ति को अपने जीवन काल में 5 लोगों को कभी भी अपमानित नहीं करना चाहिए। सर्वप्रथम पालन पोषण और सदैव अपनी संतान का हित चाहने वाले माता-पिता का। उन्हें भगवान का स्वरूप मानकर ही पूजा जाना चाहिए। उनको अपमानित करना पाप के समान होता है। इनके अतिरिक्त गुरु एवं आचार्य को अपमानित करना व्यक्ति के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु को ब्रह्म का रूप का माना जाता है और व्यक्ति इनके कारण ही अपने जीवन में सफलता और ख्याति अर्जित करता है। इसलिए इनका अपमान करना देवताओं के अपमान के समान होता है। सदैव इनका सम्मान करना चाहिए और इन्हें भगवान के रूप में पूजा जाना चाहिए। अंत में भगवान विष्णु बताते हैं कि जो व्यक्ति पूज्यजन अर्थात साधक व साधु-संतों का अपमान करता है। वह भी पाप का भागीदार होता है। ऐसे व्यक्ति को वैतरणी नदी में सजा दी जाती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।