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    Garuda Purana: मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है? गरुण पुराण की ये बाते जानकर रह जाएंगे हैरान

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 12 Dec 2023 07:45 PM (IST)

    Garuda Purana in Hindi हिंदू धर्म में गरुण पुराण का विशेष महत्व है। यह पुराण मृत्यु और इसके बाद की स्थिति के बारे में बताता है। गरुण पुराण प्रभु श्री हरि की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। गरुण पुराण में व्यक्ति के अलग-अलग कर्मों के लिए अलग-अलग दंड निर्धारित किए गए हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि आत्मा को अगला जन्म किस योनि में मिलेगा।

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    Garuda Purana: मृत्यु के बाद आत्मा के साथ होती हैं ये चीजें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Garuda Purana: मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसे कोई भी नहीं टाल सकता। ऐसे में गरुड़ पुराण में मृत्यु और उसके बाद की स्थिति के बारे में बताया गया हैं। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि व्यक्ति के किन कर्मों पर उसे नरक की प्राप्ति होती है और उसे किस प्रकार का दंड झेलना पड़ता है। आइए जानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है।

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    मृत्यु के बाद भी रहती है ये भावना

    गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है। इसमें पशु-पक्षी, वृक्ष योनि, कीड़े-मकोड़े और मनुष्य योनि आदि शामिल हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा जब शरीर छोड़ने के बाद भी उसमें भूख,प्यास, क्रोध, द्वेष और वासना आदि का भाव नहीं जाता है।

    यमराज से होता है सामना

    गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा मृत्यु के देवता यमराज के पास जाती है। यमराज ही व्यक्ति के कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं। जीवन में किए गए बुरे कर्मों के लिए आत्मा को नरक की यातनाएं भी झेलनी पड़ती हैं। कर्मों के आधार पर अलग-अलग कर्मों के लिए अलग-अलग दंड निर्धारित किए गए हैं। जीवन में किए कर्मों के आधार पर ही इस बात का निर्धारण भी किया जाता है कि आत्मा को अगला जन्म किस योनि में मिलेगा।

    कब मिलती है प्रेत योनि

    यह व्यक्ति के कर्मों पर ही निर्धारित करता है कि मृत्यु के बाद आत्मा किस योनि में जन्म लेगी। वहीं, बुरे कर्म करने वाले मनुष्यों की आत्मा मृत्यु लोक में ही भटकती रहती है। वहीं अगर किसी की मृत्यु  प्राकृतिक तरीके से नहीं हुई अर्थात दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या आदि के कारण मृत्यु होती है तो आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'