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    Ganpati Visarjan 2023: तो इसलिए किया जाता है गणपति विसर्जन, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 28 Jun 2023 12:09 PM (IST)

    Ganpati Visarjan 2023 भारत में गणपति विसर्जन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार में हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन भक्त घर में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद अनंत चतुर्थी के दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है। गणपति विसर्जन के पीछे एक पौराणिक मान्यता मौजूद है।

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    Ganpati Visarjan 2023 आखिर क्यों किया जाता है गणपति विसर्जन।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ganpati Visarjan 2023: हम अपने अपने घरों में गणपति लेकर आते हैं। बिल्कुल बच्चे की तरह उनका लालन-पालन करते हैं। उनकी सेवा करते हैं लेकिन फिर उसके बाद हम उन्हीं गणपति को विसर्जित कर देते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश चतुर्थी पर गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।

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    क्या है गणपति विसर्जन का महत्व

    हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, वाणी और विवेक का देवता माना गया है। यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है। इसके बाद ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा से जीवन की सभी बाधाएं खत्म हो जाती हैं। यह भी मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर भगवान गणेश जी की स्थापना की जाती है और 10 दिन तक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को किसी नदी या तालाब में विसर्जित करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है

    क्यों किया जाता है बप्पा का विसर्जन

    पुराणों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए गणेश जी का आह्वान किया था। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार तो किया लेकिन एक शर्त भी रखी कि 'मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा'। वेद व्यास जी ने इस शर्त को मान लिया। व्यास ने आंखें बंद करके गणेश जी को महाभारत सुनाना शुरू किया और गणपति बिना रुके उसे लिपिबद्ध करते थे। 10 दिन बाद जब महाभारत पूरी हुई तब वेदव्यास ने देखा कि गणपति का तापमान बहुत बढ़ा हुआ है। उन्होंने तापमान को कम करने के लिए गणपति जी को पानी में डुबकी लगवाई। तभी से यह गणपित विसर्जन की प्रथा चली आ रही है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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