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    Ganga ki Katha: देवी गंगा ने अपने 7 पुत्रों को नदी में क्यों बहाया? भीष्म पितामह से जुड़ी है यह कथा

    Ganga story महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जो व्यक्ति को आश्चर्यचकित कर देती हैं। ऐसा ही एक प्रसंग है देवी गंगा द्वारा अपने 7 पुत्रों को नदी में बहाना। इस कथा का संबंध महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह से रहा है। तो चलिए जानते हैं कि मां गंगा द्वारा अपने नवजात शिशुओं को नदी में प्रवाहित करने का कारण।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 11 Jan 2024 02:09 PM (IST)
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    Ganga story in Hindi देवी गंगा ने अपने 7 पुत्रों को नदी में क्यों बहाया?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganga story in Hindi: हिंदू धर्म में गंगा नदी को देवी का स्थान दिया गया है। उन्हें माता कहकर संबोधित किया जाता है। महाभारत काल में कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक है देवी गंगा और महाराज शांतनु का विवाह और उसके बाद देवी गंगा द्वारा अपने ही पुत्रों को नदी में प्रवाहित करना। इसके पीछे एक विशेष कारण मिलता है।

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    गंगा ने शांतनु के सामने रखी ये शर्त

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हस्तिनापुर का महाराज शांतनु, गंगा से बहुत प्रेम करते थे। इसके बाद राजा ने गंगा के आगे विवाह का प्रस्ताव रखा। गंगा विवाह के लिए मान गई, लेकिन साथ ही उन्होंने एक शर्त भी रखी जिसके मुताबिक शांतनु कभी भी उन्हें किसी बात के नहीं रोकेंगे और अगर वह ऐसा करते हैं तो गंगा उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर चली जाएंगी। राजा इस बात को मान जाते हैं।

    क्या था इसका कारण

    विवाह के बाद जब गंगा मैय्या और राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन गंगा ने अपने नवजात शिशु को नदी में बहा दिया। गंगा द्वारा दिए गए वचन के कारण शांतनु उन्हें रोक न सके। इसी तरह गंगा जी ने अपने अन्य 7 पुत्रों को भी नदी में बहा दिया। जब आठवें पुत्र ने जन्म लिया और गंगा जी उन्हें भी नदी में बहाने जा रही थी। तब राजा शांतनु ने उन्हें रोक लिया और उसने ऐसा करने का कारण पूछा। इस पर मां गंगा ने उत्तर दिया कि मैं अपने पुत्रों को वशिष्ठ ऋषि के श्राप मुक्त कर रही हूं।

    ये मिला था श्राप

    यह कहते हुए गंगा जी आगे बताती हैं, कि उनके आठों पुत्र वसु थे। जिन्हें ऋषि वशिष्ठ द्वारा यह श्राप दिया गया था कि पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद इन्हें बहुत-से दुख सहने पड़ेंगे। ऐसे में गंगा जी ने उन्हें कष्टों से बचाने और मुक्ति दिलाने के लिए नदी में प्रवाहित कर दिया था। ऐसे में राजा शांतनु ने जिस आठवां पुत्र को बचा लिया गया था वह भीष्म पितामह थे। श्राप के कारण ही उन्हें जीवन भर दुख भोगने पड़े।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'