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    Ganga Saptami 2025: गंगा सप्तमी पर इस विधि से करें पूजा, जानें स्नान-दान का समय और महत्व

    गंगा सप्तमी (Ganga Saptami 2025) का दिन बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन गंगा मैया को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार यह पर्व आज यानी 3 मई को मनाया जा रहा है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 03 May 2025 09:20 AM (IST)
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    Ganga Saptami 2025: गंगा सप्तमी पूजा मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गंगा सप्तमी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। यह मां गंगा के जन्म के रूप में मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गंगा सप्तमी (Ganga Saptami 2025) 3 मई, 2025 यानी आज मनाई जा रही है। वहीं, इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है, तो चलिए शुभ मुहूर्त जानते हैं।

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    गंगा सप्तमी 2025 स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (Ganga Saptami 2025 Snan Daan Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 13 मिनट से सुबह 4 बजकर 56 मिनट तक था। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप स्नान और दान कर सकते हैं।

    गंगा सप्तमी का महत्व (Ganga Saptami 2025 Significance)

    गंगा सप्तमी की तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है। मां गंगा को जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितरों का तर्पण किया जाता है। इस दिन दान-पुण्य करने से अक्षय फल मिलता है। साथ ही मोक्ष मिलता है।

    गंगा सप्तमी पूजा विधि (Ganga Saptami 2025 Puja Vidhi)

    इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। यदि गंगा नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक वेदी पर मां गंगा की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, धूप और दीप अर्पित करें। मां गंगा को खीर, ऋतु फल और घर पर बनी मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन गंगा स्तोत्र या गंगा चालीसा का पाठ करें।

    पूरे भाव के साथ भव्य आरती करें। क्षमता अनुसार वस्त्र, अन्न, धन या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें। इस दिन तामसिक चीजों से दूर रहें।

    गंगा सप्तमी पूजा मंत्र (Ganga Saptami 2025 Puja Mantra)

    • ॐ गंगायै नमः
    • ॐ सावित्र्यै नमः
    • ॐ नन्दिन्यै नमः
    • गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्॥
    • गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।