Ganga Saptami 2025: कब और क्यों मनाई जाती है गंगा सप्तमी? यहां जानें शुभ मुहूर्त एवं योग
सनातन शास्त्रों में निहित है कि भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा की कठिन तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। मां गंगा के धरती पर प्रकट होने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। गंगा सप्तमी (Ganga Saptami 2025 Date) तिथि पर स्नान-दान किया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गंगा स्नान का खास महत्व है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूर्णिमा, संक्रांति, गंगा सप्तमी, गंगा दशहरा और अमावस्या समेत शुभ तिथियों पर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर मां गंगा, सूर्य देव, महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। सामान्य दिनों में भी साधक गंगा स्नान करते हैं।
शास्त्रों में वर्णित है कि गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं, गंगाजल से देवों के देव महादेव का अभिषेक करने से साधक की हर परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। मां गंगा की पूजा भक्ति करने से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कब और क्यों गंगा सप्तमी मनाई जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कब मनाया जाता है गंगा सप्तमी?
हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा सप्तमी मनाई जाती है। यह दिन पूर्णता देवी मां गंगा को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर साधक सबसे पहले गंगा स्नान करते हैं। इसके बाद देवी मां गंगा और महादेव की पूजा करते हैं। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा नदी के तट पर मेला का आयोजन किया जाता है। साथ ही संध्याकाल में गंगा आरती की जाती है।
गंगा सप्तमी कब है (Ganga Saptami 2025 Kab Hai)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 03 मई को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 04 मई को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 03 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान हेतु शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है।
गंगा सप्तमी शुभ योग (Ganga Saptami Shubh Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही रवि और शिववास योग का भी संयोग है। रवि योग में गंगा स्नान करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। वहीं, शिववास योग में गंगा स्नान कर देवों के देव महादेव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट पर
- चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 58 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 13 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
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