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    Ganga Saptami 2025: इस आरती के बिना अधूरा है गंगा सप्तमी का व्रत, जरूर करें इसका पाठ

    Updated: Sat, 03 May 2025 08:48 AM (IST)

    गंगा सप्तमी का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। यह हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल गंगा सप्तमी (Ganga Saptami 2025 Kab Hai?) 3 मई 2025 यानी आज मनाई जा रही है। इस दिन मां गंगा की भव्य आरती जरूर करनी चाहिए जो इस प्रकार है -

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    Ganga Saptami 2025: गंगा आरती का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पावन तिथि 3 मई को पड़ रही है। इस दिन मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी लोक पर हुआ था। गंगा सप्तमी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और यह तभी पूरा होता है जब मां गंगा की आरती विधि-विधान से की जाए। ऐसे में सबसे पहले पवित्र स्नान करें। इसके बाद मां गंगा की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। अंत में मां गंगा (Ganga Saptami 2025) की आरती करें।

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    आपे चाहे, तो गंगा तट पर जाकर आरती में शामिल हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से मां गंगा की आरती करने से जीवन में सुख-समृद्धि, पवित्रता और शांति का वास होता है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

    ॥ श्री गंगा मैया आरती ॥

    नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्,

    सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।

    भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं,

    भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥

    हर हर गंगे, जय माँ गंगे,

    हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

    ॐ जय गंगे माता,

    श्री जय गंगे माता ।

    जो नर तुमको ध्याता,

    मनवांछित फल पाता ॥

    चंद्र सी जोत तुम्हारी,

    जल निर्मल आता ।

    शरण पडें जो तेरी,

    सो नर तर जाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    पुत्र सगर के तारे,

    सब जग को ज्ञाता ।

    कृपा दृष्टि तुम्हारी,

    त्रिभुवन सुख दाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    एक ही बार जो तेरी,

    शारणागति आता ।

    यम की त्रास मिटा कर,

    परमगति पाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    आरती मात तुम्हारी,

    जो जन नित्य गाता ।

    दास वही सहज में,

    मुक्त्ति को पाता ॥

    ॥ ॐ जय गंगे माता..॥

    ॐ जय गंगे माता,

    श्री जय गंगे माता ।

    जो नर तुमको ध्याता,

    मनवांछित फल पाता ॥

    ॐ जय गंगे माता,

    श्री जय गंगे माता।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।