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    Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी पर वृद्धि योग समेत बन रहे हैं ये 5 अद्भुत संयोग, प्राप्त होगा कई गुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 05 May 2024 06:31 PM (IST)

    वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 14 मई को देर रात 02 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और 15 मई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसके लिए 14 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी के दिन स्नान-दान का समय सुबह 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है।

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    Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी पर वृद्धि योग समेत बन रहे हैं ये 5 अद्भुत संयोग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganga Saptami 2024: सनातन धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन साधक पवित्र नदी गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके पश्चात मां गंगा की पूजा-उपासना करते हैं। शास्त्रों में निहित है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मां गंगा का पृथ्वी लोक पर अवतरण हुआ है। अतः हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा सप्तमी मनाई जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो गंगा सप्तमी पर वृद्धि योग समेत कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में मां गंगा की पूजा करने से साधक को मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 14 मई को देर रात 02 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और 15 मई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसके लिए 14 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी के दिन स्नान-दान का समय सुबह 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है।

    वृद्धि योग

    ज्योतिषियों की मानें तो गंगा सप्तमी पर प्रातः काल से वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 27 मिनट से हो रहा है। इस योग में स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    रवि योग

    गंगा सप्तमी पर रवि योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 05 बजकर 31 मिनट से दोपहर 01 बजकर 05 मिनट तक है। इस दौरान गंगा स्नान करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा। इसके पश्चात सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साधक अपनी सुविधा अनुसार, रवि, वृद्धि एवं सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान स्नान-ध्यान कर सकते हैं।

    करण

    वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गर एवं वणिज करण के योग बन रहे हैं। ज्योतिष गर और वणिज करण को शुभ मानते हैं। इन योग में स्नान-ध्यान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'