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    दुर्लभ संयोग, गंगा हुई पश्चिम वाहिनी

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    Updated: Wed, 09 Jan 2013 02:35 PM (IST)

    कुंभ पर्व के लिए सुखद संयोग बनने लगे हैं। गंगा की एक धारा का प्रवाह पश्चिमी वाहिनी हो गया है। इससे गंगा-यमुना का संगम किला घाट के पास बन रहा है। पद्म पुराण के मुताबिक यह संयोग अत्यंत दुर्लभ है। पश्चिमी वाहिनी गंगा यमुना के संगम में स्नान से एक कल्प के पाप नष्ट होते हैं।

    इलाहाबाद, [रवि उपाध्याय]। कुंभ पर्व के लिए सुखद संयोग बनने लगे हैं। गंगा की एक धारा का प्रवाह पश्चिमी वाहिनी हो गया है। इससे गंगा-यमुना का संगम किला घाट के पास बन रहा है। पद्म पुराण के मुताबिक यह संयोग अत्यंत दुर्लभ है। पश्चिमी वाहिनी गंगा यमुना के संगम में स्नान से एक कल्प के पाप नष्ट होते हैं।

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    छतनाग से गंगा का प्रवाह दो भागों में बंट गया है। एक धारा अरैल में यमुना से मिल रही है। यहां बन रहे संगम के बाद गंगा का प्रवाह काशी की ओर मुड़ जा रहा है। दूसरी धारा उलटकर पश्चिमी वाहिनी हो गई, जिसकी वजह से गंगा का मैदान काफी विस्तृत हो गया है। गंगा की यह धारा किले तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। इसकी वजह से संगम का पाट भी काफी बढ़ गया है। संगम तट पर फूल बेचने वाले माली बाबूलाल ने कहा कि यह स्थिति चार पांच दिनों से बनी है। गंगा का जल भी अपेक्षाकृत साफ हुआ है। मेले में आए संतों के अनुसार पश्चिमी वाहिनी गंगा का संयोग कभी-कभी होता है। गंगा की धारा पूर्व से पश्चिमी हुई तो जरूर कुछ अच्छा हुआ है। वैसे 2007 के अ‌र्द्धकुंभ में कुछ दिन के लिए गंगा ने अपना प्रवाह किले की ओर किया था। ज्योतिष कर्मकांड एवं अध्यात्म शोध संस्थान के अध्यक्ष डा. गिरिजा शंकर शास्त्री ने कहा कि संगम किले के पास बने वीआइपी घाट तक पहुंच रहा है। यहां से अक्षय वट नजदीक है। उन्होंने कहा कि जब यहां किला और बख्शी बांध नहीं था तब गंगा यमुना का संगम अक्षयवट के नजदीक होता था। उस समय गंगा भारद्वाज आश्रम के नजदीक से बहती थी।

    इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। भगवान राम ने गंगा को नाव से पार करने के बाद अक्षय वट का दर्शन किया था। जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव महंत हरिगिरी ने कहा कि कुंभ में सब कुछ शुभ होगा। मां गंगा भी सब पर मेहरबान हो गई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा संयोग कभी-कभी बनता है। इसमें जरूर कोई रहस्य छुपा हुआ है। अग्नि अखाड़ा के सचिव महंत कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि कुंभ पर्व में सभी देवी देवताओं का वास होता है। ऐसे में मां गंगा ने भी सबको अपने आंचल में आशीर्वाद देने के लिए झोली खोल दी है।

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