Ganesh Utsav 2023: गजानन से लेकर विनायक तक, गणेश जी को कैसे मिले ये नाम, जानिए इसके पीछे की कथा
Lord Ganesh Puja हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। माना गया है कि किसी भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस काम में किसी तरह की बाधा नहीं आती। भगवान गणेश सुखकर्ता और विघ्नहर्ता हैं। उनकी आराधना करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Name of Lord ganesha: भगवान गणेश सनातन धर्म के प्रथम पूज्य देव हैं। देशभर में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव गणेश विसर्जन तक यानी 10 दिनों तक चलता है। गणेश जी को गजानन, लंबोदर, विघ्नहर्ता, गणपति, विनायक, एकदंत आदि कई नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं गणेश जी को क्यों मिले ये नाम।
माता पार्वती ने दिया गणेश नाम
गणपति जी के सभी नामों में से सबसे प्रमुख नाम है गणेश। यह नाम उन्हें उनकी माता पार्वती से मिला है। मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने अपनी दिव्य शक्तियों से गणेश जी को उत्पन्न किया। एक बार जब वह स्नान करने जा रही थी तो उन्होंने हल्दी का उबटन लगाया और उसे उतारकर एक पुतला बना दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों से इसमें प्राण डाल दिए। माता पार्वती ने कहा कि तुम गण का नायक बनोगे इसलिए मैं तुम्हें गणेश नाम देती हूं।
इसलिए कहते हैं गजानन
पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी को उत्पन्न करने के बाद माता पार्वती उन्हें आदेश देती हैं कि वह किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दें। गणेश जी को यह ज्ञात नहीं होता कि भगवान शिव ही उनके पिता हैं जिसके चलते वह महादेव को भी अंदर प्रवेश करने से रोक देते हैं। शिव जी के बहुत समझाने के बाद भी वह उन्हें प्रवेश नहीं करने देते। इस दौरान गणेश और शिव गणों के बीच भयंकर युद्ध होता है लेकिन गणेश जी सभी को हरा देते हैं।
इस पर महादेव अत्यंत क्रोधित हो उठते हैं और अपने त्रिशूल के वार से गणेश जी का सिर काट देते हैं। जब यह बात माता पार्वती को ज्ञात होती है तो वह को विलाप करने लगते हैं और शिव जी से कहती हैं कि यदि आपने मेरे पुत्र को जीवित नहीं किया तो मैं भी अपने प्राण त्याग दूंगी। तब भगवान शिव, गणेश जी पर हाथी का सिर जोड़कर उन्हें जीवित करते हैं। गज का सिर होने के कारण ही गणेश जी को गजानन कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है एकदंत
कथा के अनुसार वेदव्यास जी महाभारत को लिपिबद्ध करना चाहते थे। व्यास जी का बोलने का वेग इतना प्रबल था के उसे केवल गणेश जी ही लिख सकते थे। इस दौरान बिना रुके महाभारत पूर्ण करने के लिए गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़कर उसकी कलम बना दी और इस तरह से महाभारत का लेखन पूरा किया। तभी से उन्हें एकदंत के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव से मिला लंबोदर नाम
गणेश जी को लंबोदर भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है लंबे या मोटे पेटवाला। यह नाम उन्हें शिव जी ने दिया है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, गणेश जी दिन भर माता पार्वती का दूध पीते रहते थे। यह देखकर भगवान शिव ने कहा तुम बहुत दूध पीते हो कहीं तुम लंबोदर न बन जाओ। तभी से भगवान गणेश को लंबोदर नाम से भी जाना जाता है।
विनायक नाम का अर्थ
विनायक का शाब्दिक अर्थ होता है सबसे बड़ा मुखिया। जब गणेश जी को भगवान शिव द्वारा हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया गया तो उस समय देवी-देवताओं ने उन्हें कई आशीर्वाद दिए। जैसे किसी भी मांगलिक कार्य से पहले गणेश जी की पूजा होगी, इसलिए उन्हें प्रथम पूज्य देव भी कहा जाता है। इसी दौरान उन्हें विनायक नाम भी मिला।
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