Ganesh Chaturthi 2025: भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते समय इन बातों का रखें ध्यान, बरसेगी बप्पा की कृपा
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Ganesh Chaturthi 2025) से लेकर चतुर्दशी तिथि तक गणेश महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान दुखहर्ता भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के समस्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में बड़े उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आता है। इस साल 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
भक्त इस दिन अपने घरों में गणपति बप्पा की प्रतिमा लाकर उनकी पूजा करते हैं। लेकिन केवल पूजा करना ही पर्याप्त नहीं है मूर्ति का आकार, दिशा, रंग और स्थापना का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है। सही मार्गदर्शन से घर में सुख, शांति और समृद्धि का प्रवाह बना रहता है।
मूर्ति का आकार
घर में गणपति बप्पा की मूर्ति न तो बहुत बड़ी हो और न ही बहुत छोटी। मध्यम आकार की प्रतिमा सबसे उचित मानी जाती है। यह संतुलन और सौम्यता का प्रतीक है। बड़े आकार की मूर्तियां आमतौर पर पंडालों और सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित की जाती हैं।
सूंड की दिशा
वास्तु के अनुसार, घर के लिए वामवर्ती सूंड वाली मूर्ति सबसे शुभ होती है, यानी गणपति जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी हो। यह दिशा सफलता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाती है। वहीं, दक्षिणामुखी सूंड वाली मूर्ति की पूजा के नियम कठिन माने जाते हैं और इसे प्रसन्न करना कठिन होता है, इसलिए यह मुख्यतः मंदिरों में ही रखी जाती है।
मूषक का महत्व
भगवान गणेश मूषक उनका प्रिय वाहन माना गया है। इसलिए मूर्ति लेते समय यह सुनिश्चित करें कि प्रतिमा में मूषक दोनों शामिल हों। इससे घर में न केवल भौतिक सुख और समृद्धि आती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी बनी रहती है।
भोग का महत्व
गणपति बप्पा को भोग अर्पित करना उनकी पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना गया है। मोदक, लड्डू, दूर्वा, और लाल फूल उन्हें विशेष प्रिय हैं। मान्यता है कि भोग केवल भोजन नहीं, बल्कि भक्त की श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक होता है। जब भक्त पूरे मन से गणेश जी को उनका प्रिय भोग अर्पित करता है, तो बप्पा उस भाव को स्वीकार कर घर-परिवार पर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं। भोग चढ़ाने से घर में अन्न-समृद्धि बनी रहती है और जीवन के कार्यों में सहजता आती है।
मूर्ति का रंग और शुभ मुहूर्त
वास्तु अनुसार, घर में सफेद रंग की मूर्ति लाना सबसे शुभ होता है, जिससे घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। सिंदूरी रंग की मूर्ति भी लायी जा सकती है, जो आत्म विकास और मन की शक्ति को बढ़ाती है। इसके साथ ही, मूर्ति को चतुर्थी से पहले किसी शुभ मुहूर्त में घर लाना चाहिए, ताकि भगवान की कृपा और आशीर्वाद पूर्ण रूप से प्राप्त हो।
लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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