Ganesh Chaturthi पर ला रहे हैं बप्पा की मूर्ति? स्थापना के समय ध्यान रखें ये बातें, दूर होंगे सभी विघ्न
10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत (Ganesh Chaturthi 2025) 27 अगस्त से होने जा रही है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घर में गणेश जी की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक श्रद्धाभाव से उनकी सेवा करते हैं। कहीं-कहीं कम दिनों के लिए भी गणेश जी की स्थापना की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं गणेश जी स्थापना से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष में आने वाली चतुर्थी के साथ-साथ बुधवार का दिन भी भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ माना गया है। इस बार गणेश चतुर्थी बुधवार के दिन मनाई जाएगी, जिस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप भी अपने घर पर बप्पा को विराजमान करने जा रहे हैं, तो इससे पहले कुछ बातें जरूर जान लें, ताकि आपको पूजा-अर्चना का पूरा फल मिल सके।
कैसी होनी चाहिए मूर्ति - गणेश स्थापना के लिए हमेशा मिट्टी से बनी मूर्ति का चयन करना चाहिए, ताकि उससे जल प्रदूषित न हो। इसके साथ ही अगर आप खुद से बप्पा की मिट्टी की मूर्ति बनाते हैं, तो इसके लिए नदी किनारे की शुद्ध काली मिट्टी, पीली मिट्टी और भूसे को मिलाकर मूर्ति बनानी चाहिए।
अगर आप घर में गणेश जी की स्थापना कर रहे हैं, तो इसके लिए दाहिनी ओर सूंड वाली मूर्ति चुननी चाहिए। वहीं अगर कार्यस्थल पर गणेश जी को स्थापित कर रहे हैं, तो इसके लिए बायीं ओर सूंड वाली मूर्ति शुभ मानी गई है।
कैसा हो आसन - बप्पा की मूर्ति को किसी भी रंग के आसन पर विराजमान (Ganesh ji sthapana niyam) किया जा सकता है। अगर आसान पीला या हरा होगा, तो ज्यादा शुभ रहेगा। बस ध्यान रखें कि आसन का रंग काला नहीं होना चाहिए।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक
पूजा में अर्पित करें ये चीजें - गणेश जी की पूजा के दौरान उन्हें दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, जनेऊ, हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल-फल, धूप, दीप, वस्त्र, दूर्वा, शमी के पत्ते आदि चढ़ाएं। प्रसाद में मोदक या फिर लड्डुओं का भोग लगाएं। इसके साथ ही पूजा में गणपति अथर्वशीर्ष, संकष्टनाशनम गणेश स्तोत्र और श्रीगणेश चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
स्थापना के दौरान करें इन मंत्रों का जप
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
"ऊं गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा"
गणेश गायत्री मंत्र - ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
गणेश बीज मंत्र - "ऊ गं गणपतये नमः" (इस मंत्र का 108 बार जप करें)
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
दूर्वा चढ़ाने का महत्व
दूर्वा जिसे दूब भी कहा जाता है, का गणेश जी की पूजा में विशेष महत्व माना गया है। औषधीय गुणों से भरपूर दूर्वा गणेश जी को अर्पित करने के पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। कथा के अनुसार, जब गणेश जी ने अनलासुर दैत्य का वध कर उसे निगल लिया था, तब उनके पेट में जलन होने लगी। उस समय उन्हें दूर्वा का सेवन करवाया गया, जिससे जलन शांत हुई। इसलिए गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।
रखें इन बातों का ध्यान
गणेश जी की पूजा के समय पीले कपड़े पहनना श्रेष्ठ होता है। गणेश जी के दर्शन हमेशा सामने से ही करने चाहिए, क्योंकि उनकी पीठ के पीछे दरिद्रता का वास माना जाता है। वहीं गणेश जी को तुलसी भी अर्पित नहीं की जाती। अगर संभव हो तो कलश की स्थापना भी जरूर करें।
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