Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lord Ganesh Birth Story: कैसे हुई भगवान गणेश की उत्पत्ति, जानें इससे जुड़ी प्रचलित पौराणिक कथा

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Mon, 29 Aug 2022 04:04 PM (IST)

    शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। इसके बाद जब उन्होंने उबटन उतारा तो इससे एक पुतला बना दिया और उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई।

    Hero Image
    Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर पढ़ें श्रीगणपति के जन्म से जुड़ी ये कथा

    नई दिल्ली,  Lord Ganesh Birth Mythological Story: गणेश उत्सव करीब है जिसकी धूमधाम पूरे देश में देखने को मिलती है खासतौर से महाराष्ट्र में। इस उत्सव में घर में गणपति स्थापित किए जाते हैं और 10 दिनों बाद उनका विसर्जन किया जाता है। जगह-जगह पंडाल सजाए जाते हैं, जिसमें लोग एकजुट होकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान गणेश की उत्पत्ति कैसे हुई? जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे हुआ भगवान गणेश का जन्म

    शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। इसके बाद जब उन्होंने उबटन उतारा तो इससे एक पुतला बना दिया और उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई। इसके बाद माता पार्वती स्नान करने चली गई और गणपति को आदेश दिया कि तुम द्वार पर बैठ जाओ और किसी को भी अंदर मत आने देना। 

    कुछ देर बाद वहां  भगवान शिव आए और कहा कि उन्हें पार्वती जी से मिलना है। द्वारपाल बने भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद शिवगणों और भगवान गणेश के बीच भयंकर युद्ध किया लेकिन कोई भी उन्हें हरा नहीं सका फिर क्रोधित शिवजी ने अपने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर काट डाला। जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो रोने लगीं और प्रलय करने का निश्चय कर लिया। इससे देवलोक भयभीत हो उठा फिर देवताओं ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया। भगवान शिव ने गरुड़ जी से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सो रही हो उस बच्चे का सिर ले आओ। गरुड़ जी की काफी देर बाद तक ऐसा कोई नहीं मिला। अंततः एक हथिनी नजर आई। हथिनी का शरीर ऐसा होता है कि वो बच्चे की तरह मुंहकर नहीं सो सकती। तो गरुड़ जी उस शिशु हाथी का सिर काट कर ले आए।शिव ने उसे बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। पार्वती उसे पुनः जीवित देख बहुत खुश हुई और तब समस्त देवताओं ने बालक गणेश को आशीर्वाद दिए। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत अगर गणेश पूजा से होगी तो वो सफल होगा। उन्होंने गणेश को अपने समस्त गणों का अध्यक्ष घोषित करते हुए आशीर्वाद दिया कि विघ्न नाश करने में गणेश का नाम सर्वोपरि होगा। इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

    Pic credit- pexels

    डिसक्लेमर

    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।