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Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलता है गणेशोत्सव, यहां इसके बारे में जानें सबकुछ

Ganesh Chaturthi 2019 गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र में धूमधाम से मानाया जाता है। इस बार यह 02 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है जो 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन पूर्ण होगा।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 03:33 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 02:51 PM (IST)
Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलता है गणेशोत्सव, यहां इसके बारे में जानें सबकुछ
Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलता है गणेशोत्सव, यहां इसके बारे में जानें सबकुछ

Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र में धूमधाम से मानाया जाता है। इस बार यह 02 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है, जो 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन पूर्ण होगा। गणेश चतुर्थी को गणपति की स्थापना से शुरू होने वाला यह उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणपति के विसर्जन के साथ पूर्ण होता है। गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं।

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10 दिन चलता है गणेशोत्सव
बल, बुद्धि और सौभाग्य के देवता गणपति बप्पा की स्थापना के लिए महाराष्ट्र समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में पंडाल आदि बनाए जा रहे हैं। आपसी भाई-चारे को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ हुआ यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है। इस वर्ष 02 सितंबर से शुरू होकर 12 सितंबर तक चलेगा।

इन 10 दिनों में गणपति बप्पा की प्रतिदिन पूजा अर्चना की जाती है। उनको मोदक प्रिय है, इसलिए भोग में यही चढ़ाया जाता है। प्रति दिन सुबह और शाम के समय में गणपति की आरती होती है। कई जगहों पर पंडालों के पास गीत, संगीत और भजन संध्या का भी आयोजन किया जाता है।

12वें दिन गणपति बप्पा को धूमधाम के साथ विदा किया जाता है और उनका विसर्जन कर दिया जाता है। इस मनोकामना के साथ बप्पा को विदा किया जाता है कि अगले वर्ष आप फिर आना और हमारे विघ्नों को दूर करना तथा मनोकामनाओं की पूर्ति करना।

गणेशोत्सव का इतिहास
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, गणेशोत्सव का प्रारंभ छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में प्रारंभ हुआ था। उन्होंने लोगों में राष्ट्रवाद और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इसका आयोजन शुरू किया था। ये पेशवाओं के शासन काल तक चला, भगवान गणेश उनके पूज्य थे। इसके पश्चात स्वतंत्रता आंदोलन के समय बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए गणेशोत्सव की दोबारा शुरुआत कराई, ताकि सभी लोग एक जगह एकत्र होकर गणेश जी की पूजा करें।

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गणेश जी सभी वर्गों में पूज्य थे, इसलिए तिलक ने हिन्दू धर्म के बीच ऊंच-नीच और जात-पात की खाई को दूर करने के लिए गणेश पूजन को एक माध्यम बनाया। 1893 में तिलक ने गणेशोत्सव को एक सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम के रूप में शुरू किया। अंग्रेजों के शासन में उस समय राजनीतिक और सामाजिक जनसभा पर रोक थी। ऐसे में गणेशोत्सव आजादी की लड़ाई में लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया।

मुंबई के प्रसिद्ध लालबाग चा राजा
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में सबसे प्रसिद्ध पंडाल लालबाग चा राजा का है। लालबाग चा राजा गणेशोत्सव मंडल की स्थापना 1934 में हुई थी। यह पंडाल लालबाग परेल इलाके में बनाया जाता है। इस पंडाल के गणपति को देखने के लिए लाखों लोग आते है। यहां के प्रसिद्ध गणपति की विशेषता है कि वे भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। लालबाग के राजा यानी गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन गिरगांव चौपाटी में होता है।


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