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    Ganesh Chalisa: हर बुधवार को करें गणेश चालीसा का पाठ, विघ्नहर्ता हरेंगे सारे कष्ट

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 06 Sep 2023 08:00 AM (IST)

    Ganesh chalisa जिस प्रकार हिंदू धर्म में हर दिन किसी-न-किसी देवता को समर्पित है। ठीक उसी प्रकार बुधवार का दिव भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन उनकी विशेष रूप से आराधना करने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं। गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए आप बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ कर सकते हैं। आएइ पढ़ते हैं गणेश चालीसा।

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    Ganesh chalisa in hindi हर बुधवार को करें गणेश चालीसा का पाठ।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ganesh chalisa in Hindi: कोई भी मांगलिक कार्य आदि का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश को विशेष रूप से याद किया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं। भारतभर में गणेश उत्सव की शुरुआत होने जा रही है। ऐसे में यह बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त करने का अच्छा अवसर है। आप बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ करके भगवान गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त कर ररकते हैं।

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    श्री गणेश चालीसा

    ॥ दोहा ॥

    जय गणपति सदगुण सदन,

    कविवर बदन कृपाल ।

    विघ्न हरण मंगल करण,

    जय जय गिरिजालाल ॥

    ॥ चौपाई ॥

    जय जय जय गणपति गणराजू ।

    मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

    जै गजबदन सदन सुखदाता ।

    विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

    वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।

    तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

    राजत मणि मुक्तन उर माला ।

    स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

    पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।

    मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

    सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।

    चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

    धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।

    गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

    ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।

    मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

    कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।

    अति शुची पावन मंगलकारी ॥

    एक समय गिरिराज कुमारी ।

    पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥

    भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।

    तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

    अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।

    बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

    अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।

    मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

    मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।

    बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

    गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।

    पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

    अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।

    पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

    बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।

    लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

    सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।

    नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

    शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।

    सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

    लखि अति आनन्द मंगल साजा ।

    देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

    निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।

    बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

    गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।

    उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

    कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।

    का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

    नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।

    शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

    पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।

    बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

    गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।

    सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

    हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।

    शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

    तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।

    काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

    बालक के धड़ ऊपर धारयो ।

    प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

    नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।

    प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥

    बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।

    पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

    चले षडानन, भरमि भुलाई ।

    रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

    चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।

    तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

    धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।

    नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

    तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।

    शेष सहसमुख सके न गाई ॥

    मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।

    करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

    भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।

    जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

    अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।

    अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥

    ॥ दोहा ॥

    श्री गणेश यह चालीसा,

    पाठ करै कर ध्यान ।

    नित नव मंगल गृह बसै,

    लहे जगत सन्मान ॥

    सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,

    ऋषि पंचमी दिनेश ।

    पूरण चालीसा भयो,

    मंगल मूर्ती गणेश ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'