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    Gandmool Nakshatra Effects: क्या होते हैं गण्डमूल नक्षत्र और जानिए उनके फल

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News Network
    Updated: Sat, 14 Jan 2023 05:09 PM (IST)

    Gandmool Nakshatra actually ominous विभिन्न नक्षत्रों में पैदा होने वाले बच्चों की जन्म कुंडली नक्षत्रों के प्रभाव के अनुसार तय की जाती है। इनके अनुसार ही अलग-अलग तरह से व्यक्ति के जीवन की दिशा निर्धारित होती है। आइए जानते है।

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    पंडित दीपक पांडे के अनुसार, इन सब बातों से पहले यह जानना जरूरी है, कि गण्ड मूल नक्षत्र हैं क्या।

    नई दिल्ली, Gandmool Nakshatra: किसी बच्चे का जन्म गण्डमूल नक्षत्र में होता है, तो क्या वाकई ये बच्चे खुद या परिवार के लिए परेशानी बन जाते हैं। इस स्थिति में क्या शांति पाठ कराना अनिवार्य है। पंडित दीपक पांडे के अनुसार, इन सब बातों से पहले यह जानना जरूरी है, कि गण्ड मूल नक्षत्र हैं क्या।

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    क्या हैं गण्डमूल नक्षत्र

    धर्म शास्त्रों के अनुसार कुल 27 नक्षत्रों का वर्णन प्राप्त होता है। जिनमें से कुछ नक्षत्र को शुभ और कुछ को अशुभ माना जाता है। यह अशुभ नक्षत्र ही गण्डमूल नक्षत्र कहलाते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह नक्षत्र अश्विनी, आश्लेषा, मघा, जेष्ठा, मूल और रेवती के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन नक्षत्रों में जन्मा हुआ बालक माता-पिता, कुल और स्वयं अपने आप को नष्ट करने वाला होता है। यह पूरी तरह अशुभ ही होंगे यह कहना सही नहीं है, क्योंकि इन नक्षत्रों का जातक पर शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव होता है। यह प्रभाव इन 6 नक्षत्रों में से किसी एक में चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्र किस भाव में है, इसको देखकर निश्चित किया जाता है। ठीक 27 दिन के बाद यह नक्षत्र पुनः आता है।

    चार चरण से तय होता है प्रभाव

    सभी नक्षत्रों में कुल चार चरण होते हैं, और उन्हीं चरणों के हिसाब से जन्म लेने वाले बच्चे पर प्रभाव की गणना होती है। यह गणना इस प्रकार होती है। अश्वनी नक्षत्र के पहले चरण में जन्मे बच्चे के पिता को कष्ट का भय होता है। दूसरे चरण में सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। तीसरे चरण में मंत्री पद जैसा उच्च स्थान मिलता है, और चौथे चरण में राज सम्मान मिलता है। आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में शांति का शुभ आशीर्वाद मिलता है। दूसरे चरण में धन नाश होता है। तीसरे चरण में मातृ नाश होता है, और चौथे चरण में पितृ नाश होता है। मघा नक्षत्र के पहले चरण में माता को कष्ट मिलता है। दूसरे चरण में पिता को भय होता है‌। तीसरे चरण में सुख प्राप्ति होती है, और चौथे चरण में अनेक कष्ट मिलने की संभावना होती है। जेयष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में बड़े भाई को कष्ट होता है। दूसरे चरण में छोटे भाई को कष्ट होता है। तीसरे चरण में माता का नाश होता है, और चौथे चरण में पिता का नाश होता है। मूल नक्षत्र में पहले चरण से पिता के नाश की संभावना होती है। दूसरे चरण में धन का नाश होता है। तीसरे चरण में माता का नाश होता है, और चौथे चरण से शांति और सुख मिलता है। रेवती नक्षत्र में प्रथम चरण राज सम्मान का सुख देता है। दूसरा चरण मंत्री पद की प्राप्ति कराता है। तीसरा चरण धन का सुख लाता है, और चौथा चरण अनेक प्रकार के कष्ट लाता है। इस प्रकार हर परिस्थिति में गण्डमूल नक्षत्र का अशुभकारी होना जरूरी नहीं है। गण्डमूल में जन्मे बच्चे का मुंह 27 दिन तक उसके पिता को नहीं देखना चाहिए। बल्कि प्रसूति स्नान के बाद शुभ बेला में ही पिता को बच्चे का चेहरा दिखाना उचित माना जाता है।

    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'