Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2023: नवंबर में इस दिन मनाई जाएगी गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, यहां पढ़ें पूजा विधि

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 24 Nov 2023 11:58 AM (IST)

    Ganadhipa Sankashti Chaturthi Vrat हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणेश जी पूजा से सारे काम बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं। प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित मानी जाती है। मार्गशीर्ष का महीना 28 नवंबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस माह में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाएगी।

    Hero Image
    Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2023 नवंबर में इस दिन मनाई जाएगी गणाधिप संकष्टी चतुर्थी।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2023: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। कई साधक इस विशेष दिन पर व्रत भी करते हैं। माना जाता है कि इस तिथि पर जो साधक चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की विधि-विधान के साथ पूजा और व्रत करता है, उसके जीवन में आ रहे सभी प्रकार के दुख-दर्द दूर होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त (Chaturthi Shubh Muhurat)

    कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 30 नवंबर, दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से शुरू हो रही है, जो 01 दिसंबर दोपहर 03 बजकर 31 पर समाप्त होगी। ऐसे में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में चन्द्रोदय शाम 07 बजकर 54 मिनट पर होगा।

    यह भी पढ़ें - Margashirsha Month 2023: इस दिन से शुरू हो रहा है श्री कृष्ण का प्रिय महीना, जानिए मार्गशीर्ष मास का महत्व

    पूजा विधि (Chaturthi Puja Vidhi)

    गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नान आदि से निवृत होने के बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना लाभदायक माना जाता है। अब पूजा स्थल की सफाई करने के बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर गणेश जी मूर्ति स्थापित कर लें।

    ध्यान रहे कि पूजा करते समय अपना मुख उत्तर की ओर होना चाहिए। इसके बाद गणेश जी को पुष्प, गंध और दीप अर्पित करें। भोग के रूप में आप गणेश जी को प्रिय मोदक या तिल का लड्डूओं का भोग लगा सकते हैं। संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करें।

    WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'