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    Sarvapitri Amavsya 2021: सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा है गजछाया योग, जानिए इसका महत्व

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Sun, 03 Oct 2021 07:48 PM (IST)

    Sarvapitri Amavsya 2021 ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल सर्वपितृ अमावस्या पर 11 साल बाद गजछाया योग बन रहा है। ये योग पितरों का श्राद्घ करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का विशिष्ट योग है। आइए जानते हैं गजछाया योग के काल गणना और इसके महत्व के बारे में....

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    सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा है गजछाया योग, जानिए इसका महत्व

    Sarvapitri Amavsya 2021:पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण के पितर पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है। सर्व पितृ अमावस्या को महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितर पक्ष का अंतिम श्राद्ध होता है। मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है। पंचांग गणना के अनुसार इस साल सर्वपितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, दिन बुधवार को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल सर्वपितृ अमावस्या पर 11 साल बाद गजछाया योग बन रहा है। ये योग पितरों का श्राद्घ करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का विशिष्ट योग है। आइए जानते हैं गजछाया योग के काल गणना और इसके महत्व के बारे में....

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    सर्वपितृ अमावस्या पर गजछाया योग

    अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, दिन बुधवार को पड़ रही है। इसके साथ ही इस दिन ग्यारह साल बाद अतिविशिष्ट गजछाया योग का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा दोनों ही हस्ति नक्षत्र में एक साथ होते हैं तो गजछाया योग का निर्माण करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्योदय से लेकर शाम 04 बजकर 34 मिनट तक गजछाया योग रहेगा। इसके अलावा इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग का बन रहा है।

    गजछाया योग का महत्व

    ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गजछाया योग पितरों की आत्मा की तृप्ति के निमित्त श्राद्घ और तर्पण करने के लिए अति उत्तम योग होता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए श्राद्ध और तर्पण कार्य से पितरों की आत्मा को अगले 12 वर्षों की तृप्ति मिलती है। इस योग में किए गए तर्पण कार्य से अक्षय फल मिलता है। इस दिन श्राद्ध कर्म के साथ पंचबलि कर्म भी जरूर करना चाहिए। इससे प्रसन्न होकर पितर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। घर में सुख-शांति आती है तथा वंश वृद्धि होती है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

     

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