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    Sankashti Chaturthi 2024: फाल्गुन माह में कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Wed, 21 Feb 2024 05:10 PM (IST)

    हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है मान्यता है कि इस विशेष अवसर पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और गणपति बप्पा की कृपा सदैव बनी रहती है। चलिए जानते हैं फाल्गुन माह की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी डेट शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    Falgun Sankashti Chaturthi 2024: फाल्गुन माह में कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Falgun Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का अधिक महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने का विधान है। हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस विशेष अवसर पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और गणपति बप्पा की कृपा सदैव बनी रहती है। साथ ही जीवन की सभी परेशानियों से निजात मिलती हैं। चलिए जानते हैं फाल्गुन माह की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त

    चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 28 फरवरी को को रात 01 बजकर 53 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 29 फरवरी को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी, बुधवार के दिन किया जाएगा।

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    द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

    संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत गणपति बप्पा के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। अब चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। दीपक जलाक विधिपूर्वक पूजा करें। साथ ही लाल चन्दन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और सच्चे मन से गणेश चालीसा का पाठ करें। भगवान गणेश जी को विशेष चीजों का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

    Pic Credit - Freepik