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    वृंदावन में 39 में से चंद घाट ही अस्तित्व में

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    Updated: Tue, 29 Apr 2014 02:56 PM (IST)

    भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना किनारे जिन स्थानों पर अपनी लीला से जगत को प्रेम, सौहार्द्र और पर्यावरण का संदेश दिया। कन्हैया की लीलाओं के साक्षी बने ये घाट आज अपने अस्तित्व से लड़ रहे हैं। यमुना किनारे प्राचीन काल में बने 39 घाटों में अब चंद घाट ही बचे हैं। रखरखाव के अभाव में ये घाट भी अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहे हैं। वृ

    वृंदावन। भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना किनारे जिन स्थानों पर अपनी लीला से जगत को प्रेम, सौहार्द्र और पर्यावरण का संदेश दिया। कन्हैया की लीलाओं के साक्षी बने ये घाट आज अपने अस्तित्व से लड़ रहे हैं। यमुना किनारे प्राचीन काल में बने 39 घाटों में अब चंद घाट ही बचे हैं। रखरखाव के अभाव में ये घाट भी अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहे हैं।

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    वृंदावन को तीन ओर से यमुना महारानी ने अपने आगोश मे ले रखा है। वृंदावन में यमुना किनारे ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलायें कीं। द्वापर के बाद राजा-महाराजाओं ने यमुना किनारे के घाटों के महत्व को ध्यान में रखकर इनका पक्का निर्माण करवाया।

    जहां चैतन्य महाप्रभु जैसे संतों ने साधना की, इसके अलावा हजारों संतों ने यमुना किनारे इन घाटों को ही अपनी साधना का केंद्र बनाया। शासन-प्रशासन की अनदेखी ने इन घाटों का अस्तित्व ही मिटाकर रख दिया है। दर्जनभर घाट अभी बचे हैं। पौराणिक इतिहास समेटे यह घाट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं।

    यमुना के 39 में से 21 के प्रतीक तो 15 ने बचाये रखा अस्तित्व इतिहासकारों ने अपनी कृतियों में वृंदावन में यमुना किनारे 39 घाटों का उल्लेख किया है। जिनमें से 21 घाटों के कुछ प्रतीक चिन्ह मिलते हैं तो वर्तमान में अस्तित्व में मात्र 15 घाट नजर आते हैं। इतिहासकारों के अनुसार यमुना किनारे प्राचीन घाटों में बाराह घाट, मदनटेर घाट, रामबोल घाट, कालीदह घाट, गोपाल घाट, नाभावाला घाट, प्रस्कंदन घाट, सूरज घाट, कोरिया घाट, जुगल घाट, नया घाट, श्रीजी घाट, विहार घाट, धूरवाला घाट, नागरीदास घाट, भीम घाट, अंधेर घाट, टेहरीवाला घाट, इमलीवाला घाट, वर्धमान घाट, बरवाला घाट, रानावत घाट, श्रृंगारवट घाट, गंगामोहन घाट, गोविंद घाट, हिम्मत बहादुर गिरी घाट, चीर घाट, हनुमान घाट, भ्रमर घाट, किशोरीरानी वाला घाट, पंडावाला घाट, केशीघाट, धीरसमीर घाट, वंशीवट घाट, टिकारी घाट, जगन्नाथ घाट, दानघाटी घाट एवं अक्रूर घाट को मिलाकर कुल 39 घाट प्राचीन काल में अस्तित्व में थे।

    इनमें से मदनटेर घाट, रामबोल घाट, गोपाल घाट, नाभा घाट, कोरिया घाट, रानावत घाट, श्रृंगारवाला घाट, गोविंद घाट के कुछ प्रतीक चिह्न् रह गये हैं। यमुना किनारे जो घाट वर्तमान में अपना अस्तित्व बचाने के जद्दोजहद कर रहे हैं उनमें बाराह घाट, कालीदह, सूरज घाट, जुगल घाट, विहार घाट, इमलीवाल घाट, केशीघाट, चीरघाट, हनुमान घाट, जगन्नाथ घाट व अक्रूर घाट बचे हैं।इतिहास में दर्ज इन घाटों को बचाने के लिए न तो शासन की ओर से न ही स्थानीय प्रशासन व पुरातत्व विभाग की ओर से अभी तक कोई कदम उठाये गये हैं।