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    Ekadashi Vrat Kab Hai 2025: अप्रैल में कब-कब पड़ेगी एकादशी? जानें पूजा विधि और महत्व

    Updated: Sat, 29 Mar 2025 10:06 AM (IST)

    एकादशी का दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित हैं। कहते हैं कि इस व्रत का पालन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है तो चलिए यहां जानते हैं कि इस साल यह व्रत अप्रैल महीने में ( Ekadashi Vrat Kab Hai 2025?) कब-कब रखा जाएगा और इसकी पूजा विधि क्या है?

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    Ekadashi Vrat Kab Hai 2025: एकादशी डेट और पूजा विधि।

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हर माह दो एकादशी आती हैं, जिनका अपना-अपना महत्व और नियम हैं, तो चलिए यहां जानते हैं कि अप्रैल में कब-कब एकादशी पड़ेगी?

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    कामदा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Kamada Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 अप्रैल को रात 08 बजे शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 08 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस साल 08 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत किया जाएगा

    वरूथिनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल (Varuthini Ekadashi 2025 Date) को रखा जाएगा।

    एकादशी व्रत पूजा विधि

    एकादशी का व्रत दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरू हो जाता है। इस दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भजन-कीर्तन करें।

    रात्रि में जागरण करें। द्वादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दान-दक्षिणा दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।

    एकादशी व्रत का महत्व

    एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को कई सारे लाभ मिलते हैं। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके अलावा यह व्रत शरीर और मन को शुद्ध करने में भी मदद करता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।