Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ekadashi In November 2023: इस शुभ दिन पड़ रही है रमा एकादशी, जानें समय-पूजा विधि और महत्व

    Ekadashi In November 2023 हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बेहद धार्मिक महत्व है। साधक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करतें हैं। साथ ही उनसे सौभाग्य का आशीर्वाद मांगते हैं। एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। कहा जाता है जो लोग इस दिन समर्पण के साथ उपवास रखते हैं उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 03 Nov 2023 08:30 AM (IST)
    Hero Image
    Ekadashi In November 2023: इस शुभ दिन पड़ रही है एकादशी

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क।Ekadashi In November 2023: सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। साधक इस दिन श्री हरि विष्णु के लिए व्रत रखते हैं और उनसे सुख शांति का आशीर्वाद मांगते हैं। एकादशी (Ekadashi In November 2023) व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है, जो लोग एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके सभी दुखों का अंत होता है। ऐसे में हर किसी को यह व्रत विधि अनुसार करना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रमा एकादशी का शुभ समय

    रमा एकादशी आरंभ - 8 नवंबर 08:20 से

    रमा एकादशी समापन - 9 नवंबर सुबह 10:41 तक।

    रमा एकादशी पारण का समय - 10 नवंबर सुबह 05:52 बजे से सुबह 08:07 बजे तक।

    रमा एकादशी व्रत का महत्व

    सनातन धर्म में रमा एकादशी का व्रत बेहद खास माना गया है। लोग इस दिन को भक्ति और समर्पण के साथ मनाते हैं। यह व्रत सभी वैष्णवों द्वारा किया जाता है और वे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मांगते हैं।

    साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती है और ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं, वे पिछले जन्म के बुरे कर्मों से मुक्त हो जाते हैं और मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त करते हैं।

    रमा एकादशी व्रत पूजा विधि

    • ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
    • घर और मंदिर को साफ करें।
    • किसी चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • दीया जलाएं, पीले चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक करें, घर में बनी मिठाई और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
    • शाम को विधि अनुसार पूजा करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
    • व्रत कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।
    • सात्विक भोजन से अपने व्रत का पारण करें।
    • व्रत अगले दिन द्वादशी तिथि को पारण के समय खोला जाएगा।

    यह भी पढ़ें : Kartik Month 2023: पापों से मुक्ति दिला सकता है कार्तिक का यह पवित्र महीना, जानिए कुछ उपाय

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'