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    Ekadashi in April 2024: अप्रैल में कब - कब है एकादशी ? जानिए सही तिथि और पूजा विधि

    Updated: Thu, 04 Apr 2024 02:21 PM (IST)

    एकादशी महीने में दो बार आती है एक बार शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित सबसे पवित्र व्रतों में से एक माना जाता है। यही वजह है कि साधक इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक इस कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें अपार समृद्धि धन स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।

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    Ekadashi in April 2024: अप्रैल में पड़ने वाली एकादशी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekadashi in April 2024: सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा धार्मिक महत्व है। एक साल में कुल 24 एकादशियां आती हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष के दौरान आती है। इस शुभ दिन पर साधक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भाव के साथ श्री हरि की पूजा-अर्चना करते हैं उनके घर कभी दरिद्रता नहीं आती है। इसके साथ ही पैसों से तिजोरी भरी रहती है।

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    अप्रैल में पड़ने वाली एकादशी

    पापमोचनी एकादशी (कृष्ण पक्ष)

    • एकादशी तिथि की शुरुआत - 4 अप्रैल, 2024 - दोपहर 04 बजकर 14 मिनट से
    • एकादशी तिथि का समापन - 5 अप्रैल, 2024 - दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर।
    • पारण का समय - 6 अप्रैल, 2024 - सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 05 मिनट तक।

    कामदा एकादशी (शुक्ल पक्ष)

    • एकादशी तिथि की शुरुआत - 18 अप्रैल, 2024 - शाम 05 बजकर 31 मिनट से
    • एकादशी तिथि का समापन - 19 अप्रैल, 2024 - रात्रि 08 बजकर 04 मिनट पर
    • पारण का समय - 20 अप्रैल 2024 - सुबह 05 बजकर 50 मिनट से 08 बजकर 26 मिनट तक।

    एकादशी व्रत की पूजा इस विधि से करें

    • एक वेदी लें और उसमें श्रीयंत्र के साथ भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें।
    • मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और पूरी श्रद्धा के साथ एकादशी व्रत का संकल्प लें।
    • श्री हरि को स्नान करवाएं।
    • गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं।
    • पीले फूलों की माला अर्पित करें।
    • 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें और श्री कृष्ण महामंत्र का भी 108 बार जाप करें।
    • भगवान को पंचामृत और तुलसी दल जरूर अर्पित करें।
    • शाम के समय भी भगवान विष्णु की पूजा करें।
    • पीली मिठाई, फल, आदि का भोग लगाएं।
    • आरती से पूजा को पूरी करें।
    • जो व्रती भूख सहन करने में असमर्थ हैं, वे शाम के समय फल और दूध से बने उत्पाद खा सकते हैं।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।