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    Ekadashi: एक साल में कुल कितनी बार आती हैं एकादशी? यहां जानिए प्रमुख बातें

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 03:00 PM (IST)

    एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र तिथि है, जिसका व्रत रखने से सुख-शांति और शारीरिक-मानसिक शुद्धि मिलती है। प्रत्येक माह में दो एकादशी होती हैं। आइए यहां इस पावन तिथि (Ekadashi) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं - 

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    Ekadashi: एकादशी का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी हिंदू धर्म में सबसे पवित्र तिथियों में से एक मानी जाती है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो साधक इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है। आइए यहां जानते हैं कि एक साल में कुल कितनी बार एकादशी (Ekadashi) आती है? और इनका महत्व क्या है?

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    एकादशी की संख्या

    हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में दो एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं।

    प्रमुख एकादशी तिथि

    • निर्जला एकादशी - यह ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में आती है और साल की सबसे कठिन व महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है, जिसमें बिना पानी पिए व्रत रखा जाता है।
    • देवशयनी एकादशी - आषाढ़ शुक्ल पक्ष की यह एकादशी वह दिन है, जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं।
    • देवउठनी एकादशी - कार्तिक शुक्ल पक्ष की यह एकादशी विष्णु जी के योगनिद्रा से जागने का प्रतीक है और इसके साथ ही मांगलिक कामों की शुरुआत होती है।
    • मोक्षदा एकादशी - मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्ष की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।

    एकादशी व्रत का महत्व (Ekadashi Significance)

    एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह व्रत करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और व्यक्ति को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा, कथा का पाठ और भजन-कीर्तन करते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।