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    Ekadashi 2024: मार्च में कब-कब मनाई जाएगी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Thu, 29 Feb 2024 09:21 AM (IST)

    सनातन धर्म में एकादशी (Ekadashi in March 2024) का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस विशेष दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। सभी वैष्णव इस दिन का व्रत रखते हैं और मंत्रों का जाप करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं जो जातक एकादशी के दिन श्री हरि की पूजा करते हैं उन्हें जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।

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    Ekadashi in March 2024: मार्च में पड़ने वाली एकादशी तिथि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekadashi in March 2024: एकादशी वर्ष के प्रमुख व्रतों में से एक है। यह दिन श्री हरि की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन का उपवास सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। यही कारण है कि भक्त इस दिन भगवान विष्णु के लिए कठोर उपवास का पालन करते हैं। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन यानी द्वादशी पर समाप्त हो जाता है।

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    यह तिथि माह में दो बार आती हैं, जिसका अपना एक खास महत्व है। तो आइए शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी कब पड़ रही है उसके बारे में जानते हैं -

    मार्च में पड़ने वाली एकादशी तिथि (विजया एकादशी - कृष्ण पक्ष)

    • एकादशी तिथि की शुरुआत - 6 मार्च, 2024 सुबह 06 बजकर 30 मिनट से
    • एकादशी तिथि का समापन - 7 मार्च, 2024 - सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर।
    • पारण का समय - 7 मार्च 2024 दोपहर 01 बजकर 09 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक।

    (आमलकी एकादशी - शुक्ल पक्ष)

    • एकादशी की शुरुआत - 20 मार्च, 2024 दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से
    • एकादशी का समापन - 21 मार्च, 2024 - 02 बजकर 22 मिनट पर।
    • पारण का समय - 21 मार्च 2024 - दोपहर 01 बजकर 07 से 03 बजकर 32 तक।

    एकादशी उपवास का महत्व

    हिंदुओं में एकादशी का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा होती है। सभी वैष्णव इस दिन का व्रत रखते हैं और मंत्रों का जाप करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, जो जातक एकादशी के दिन श्री हरि की पूजा करते हैं, उन्हें जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।

    साथ ही भगवान विष्णु अपने भक्तों के सभी पापों और कष्टों को दूर करते हैं और अपने साथ यानी बैकुंठ धाम में स्थान देते हैं।

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    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'