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    Eid-e-Milad-un-nabi 2021: आज है ईद-ए-मिलाद का पर्व, जानिए इस दिन का इतिहास और रिवाज़

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 19 Oct 2021 07:35 AM (IST)

    Eid-e-Milad-un-nabi 2021 ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद उन नबी का दिन इस्लाम जगत में बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया जाता है। इस साल ईद-ए-मिलाद का पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर आज 19 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस दिन के रिवाज़ और इतिहास के बारे में....

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    आजहै ईद-ए-मिलाद का पर्व, जानिए इस दिन का इतिहास और रिवाज़

    Eid-e-Milad-un-nabi 2021: ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद उन नबी का दिन इस्लाम जगत में बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया जाता है। मान जाता है कि इस दिन ही इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था, और इसी दिन उनका इंतकाल भी हुआ था। इसलिए इस दिन को बारावफात के नाम से भी जाना जाता है। इस्लाम मानने वाले अलग-अलग फिरकों और समुदाय के लोग इस त्योहार को अलग-अलग तरह से मनाते हैं। इस साल ईद-ए-मिलाद का पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर आज 19 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। बरेलवी और सूफी विचारधार के लोग ईद-ए-मिलाद का जुलूस आज, 19 अक्टूबर को निकालेंगे। आइए जानते हैं ईद-ए-मिलाद पर्व के रिवाज़ और इतिहास के बारे में....

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    ईद-ए-मिलाद का इतिहास

    बारावफात या फिर जिसे ईद- मीलाद – उन - नबी के नाम से भी जाना जाता है, यह दिन इस्लाम मजहब का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस्लामी कैलेंडर के रबी – अल - अव्वल की 12 तारीख को इद-ए-मिलाद का पर्व मनया जाता है। इस्लामी मान्यता के मुताबिक हजरत मुहम्मद का जन्म 517 ईस्वी में हुआ था और 610 इस्वी में मक्का की हीरा गुफा में उन्हें इहलाम हुआ। लेकिन ईद-ए-मिलाद का पर्व मिश्र में मनाना शुरू हुआ था। 11 वीं शताब्दी तक आते-आते पूरी दुनिया के मुसलमान इसे मनाने लगे।

    ईद-ए-मिलाद का रिवाज़

    ईद-ए-मिलाद के दिन इस्लाम के मानने वाले मस्जिदों में नमाज अता करते हैं और हजरत मुहम्मद की शिक्षाओं और उपदेशों को अमल लाने का संकल्प लेते हैं। इस दिन हरे रंग के घागे बांधने या कपड़े पहनने का भी रिवाज़ है। हरे रंग का इस्लाम में बहुत महत्व होता है। इसके साथ ही इस दिन पारंपरिक खाने बनाए जाते हैं और गरीबों में बांटे जाते हैं। शिया और बरेलवी समुदाय के लोग इस दिन जुलूस भी निकालते हैं और हजरत मुहम्मद की शिक्षाओं को तख्तियों पर लिख कर सारी दुनिया को उससे रूबरू कराते हैं। जबकि सुन्नी समुदाय में ये दिन बड़ी सादगी के साथ मनाया जाता है।

    डिस्क्लेमर

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

     

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