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    Dussehra 2020: जानें दशहरे का इतिहास और क्यों इस दिन को कहा जाता है विजयदशमी

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:00 PM (IST)

    Dussehra 2020 इस वर्ष दशहरा 25 अक्टूबर को है। देशभर में इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के 10वें दिन ही मनाया जाता है। भारत के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर इस पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।

    Dussehra 2020: जानें दशहरे का इतिहास और क्यों इस दिन को कहा जाता है विजयदशमी

    Dussehra 2020: इस वर्ष दशहरा 25 अक्टूबर को है। देशभर में इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के 10वें दिन ही मनाया जाता है। भारत के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर इस पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। कई जगह पर रावण की पूजा की जाती है और कई जहर पर लंकापति रावण का पुतला दहन करते हैं। आइए जानते हैं कि दशहरे का इतिहास और महत्व।

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    दशहरे का इतिहास और क्यों इस दिन को कहा जाता है विजयदशमी:

    यह पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सीता का रावण ने हरण कर लिया था। मर्यादा परुषोत्तम राम ने देवी सीता की रक्षा के लिए अधर्म और अन्यायी रावण को युद्ध के लिए ललकारा और दस दिनों तक उससे युद्ध किया। भगवान राम ने आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की मदद से रावण का वध किया था। राम जी ने रावण पर विजय प्राप्त की थी और यह दशमी तिथि भी थी ऐसे में इस दिन को विजयदशमी कहा जाता है।

    दूसरी कथा की बात करें तो दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र में मां दुर्गा और महिषासुर के वध की कथा बताई गई है। मां दुर्गा ने आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को महिषासुर का वध किया था और सभी देवताओं और आम लोगों को इस असुर के आतंक से मुक्ति दलाई थी। इसके बाद सभी देवताओं ने देवी की इस विजय पर उनकी पूजा की थी। इसी के चलते यह तिथि विजया दशमी कहलाई।

    दशहरा पूजा का महत्व:

    दशहरा के दिन मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा-अर्चना की जाती है। श्री राम मर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं। वहीं, मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं। ऐसे में जीवन में शक्ति, मर्यादा, धर्म और आदर्श का विशेष महत्व है। अगर किसी व्यक्ति के अंदर यह गुण होता है तो वह सफल जरूर होता है।

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