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    Durga Puja 2022: बंगाल में शुरू हो चुकि है दुर्गा पूजा की गूंज, जानिए इस भव्य बंगाली पर्व की कुछ खास बातें

    By Shantanoo MishraEdited By:
    Updated: Sun, 25 Sep 2022 11:49 AM (IST)

    Durga Puja 2022 महालया पर्व के दिन धरती पर मां भगवती का आगमन होता है। इस दिन से दुर्गा पूजा महापर्व की शुरुआत हो जाती है। बंगाल में भी भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और कई प्रकार के रीति-रिवाजों के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

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    Durga Puja 2022: हिन्दू धर्म में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है।

    नई दिल्ली, Durga Puja 2022, Bengal: जैसे-जैसे दुर्गा पूजा अर्थात नवरात्र का दिन नजदीक आ रहा है मंदिरों से लेकर बाजारों तक इस पर्व की रौनक दिखाई दे रही है। देश भर में दुर्गा पूजा पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन बंगाल में इस पर्व का अनोखा दृश्य देखने को मिलता है। जगह-जगह सुंदर पंडाल सजाए जाते हैं, ढोल नगाड़ों के संग मां भगवती (Durga Puja 2022 in Bengal) का स्वागत किया जाता है। बता दें कि माता दुर्गा को शक्ति और सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि देवी दुर्गा की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं।

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    पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण इस उत्सव की चमक कम जरूर हुई थी लेकिन श्रद्धा भाव जैसे का तैसा ही बना हुआ था। इस वर्ष मां भगवती के स्वागत के लिए तैयारियां जोरों पर है। बंगाली समुदाय में भव्य पंडालों को सजाने का काम अंतिम चरण में है। ऐसे में कुछ ऐसे रीति-रिवाज हैं जिन्हें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं महालया, आनंद मेला, धुनुची नाच इत्यादि से कैसे खास बनता है यह महा पर्व।

    महालया (Mahalaya)

    महालया के दिन मां भगवती अपने भक्तों के घर पधारती हैं। महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है। किवदंतियों के अनुसार इसी दिन शक्तिशाली असुर महिषासुर के सर्वनाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया गया था। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में मां भगवती की आंखों को रंगों से सजाया जाता है जिसे चक्षु दान के नाम से जाना जाता है।

    आनंद मेला (Ananda Mela)

    चार दिन तक चलने वाले इस उत्सव कि शुरुआत महा षष्ठी के दिन हो जाती है। जिसमें बंगाली समुदाय के कई लोग छोटी दुकान लगाकर घर का खाना परोसते हैं जिसे एक प्रतियोगिता के रूप में भी देखा जाता है। अंत में अंकों के अनुसार विजेता का आंकलन किया जाता है। लेकिन यह प्रतियोगिता से अधिक आपसी मेल-जोल का सबसे अच्छा माध्यम होता है।

    कोला बौ (Kola Bau)

    कोला बौ पूजा पश्चिम बंगाल में सबसे लोकप्रिय अनुष्ठान है। इस विशेष दिन पर भगवान गणेश की पत्नी कोलाबौ को स्नान कराया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं। बंगाल में गंगा नदी में इस विशेष स्नान का महत्व सबसे अधिक है। यह विशेष अनुष्ठान महा सप्तमी के दिन किया जाता।

    महा अष्टमी (Maha Ashtami)

    दुर्गा पूजा के तीसरे और नवरात्र महापर्व के अष्टमी तिथि को महा अष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और दिन मां भगवती की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन विशेष पुष्पांजली अर्पित की जाती है और कुमारी पूजा अर्थात कन्या पूजन किया जाता है।

    धुनुची नाच (Dhunuchi Naach)

    धुनुची नाच जिसे धुनुची नृत्य भी कहा जाता है, दुर्गा पूजा में सबसे अनोखा माना जाता है। बंगाल से शुरू हुए इस नाच को देश के कई हिस्सों में देखा जा सकता है। महा सप्तमी के दिन शुरू होने वाले इस नाच को देवी दुर्गा की ऊर्जा बढ़ाने के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। धुनुची असल में मिट्टी से पात्र होता है जिसमें नारियल का सुखा भूसा जलाकर या कोयला रखकर जलाया है। फिर इसे नीचे से पकडकर ढोल-नगाड़ों की ताल के साथ नृत्य किया जाता है।

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    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।