सजे कथा पंडाल, व्यास पीठ से बिखरी धर्म-अध्यात्म की छटा
वासंतिक नवरात्र के शुभारंभ पर रामनगरी में रामकथा की रसधार प्रवाहित हुई। प्रतिष्ठित पीठ उत्तर तोताद्रि मठ के सभागार में नौ दिवसीय रामकथा की शुरुआत करते हुए जगद् गुरु स्वामी राघवाचार्य ने बताया कि पूरे ब्रह्मंड में 64 करोड़ तीर्थ हैं और राम जन्म के अवसर पर वे सभी अयोध्या चले आते हैं। ऐसे में राम जन्म के अवसर पर अयोध्
अयोध्या। वासंतिक नवरात्र के शुभारंभ पर रामनगरी में रामकथा की रसधार प्रवाहित हुई। प्रतिष्ठित पीठ उत्तर तोताद्रि मठ के सभागार में नौ दिवसीय रामकथा की शुरुआत करते हुए जगद् गुरु स्वामी राघवाचार्य ने बताया कि पूरे ब्रह्मंड में 64 करोड़ तीर्थ हैं और राम जन्म के अवसर पर वे सभी अयोध्या चले आते हैं। ऐसे में राम जन्म के अवसर पर अयोध्या आकर सभी तीर्थो का पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी का मुहूर्त राम जन्म के साथ राम कथा की अप्रतिम सलिला रामचरितमानस के भी जन्म का मुहूर्त है। इससे पूर्व कथा का उद्घाटन करते हुए जगद् गुरु वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर ने कहा कि भगवान राम प्राणिमात्र के कष्टनिवारक हैं, वे धर्म के साक्षात विग्रह हैं। पूर्वाह्न् 108 आचार्यो द्वारा बाल्मीकि रामायण का नवाह्न् पारायण शुरू करने से पूर्व तोताद्रि मठ से शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में राघवाचार्य सहित बड़ी संख्या में संत-महंत एवं श्रद्धालु शामिल रहे। बिड़ला धर्मशाला में नौ दिवसीय रामकथा का प्रवर्तन करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद ने रामचरितमानस के उत्तर कांड को विषय बनाया। उन्होंने कहा कि उत्तर कांड में भगवान राम के जीवन की निष्पत्ति है और इसी में राम राज्य की अवधारणा निहित है।
उन्होंने कहा कि जीवन में राम राज्य की स्थापना ही भगवान राम के चरित्र के अवगाहन का सुफल है और समष्टि के तल पर हम सभी को यह प्रयास करना होगा कि जिस प्रकार राम राज्य में कोई दुखी और दरिद्र नहीं था, उसी प्रकार हम वर्तमान में प्रय8 करें। वासुदेव घाट स्थित संत तुलसीदास योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय के सभागार में मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने नौ दिवसीय कथा का उद्घाटन किया। कथा व्यास पं. राधेश्याम शास्त्री ने कथा श्रवण की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कथा के अनेक फायदों में यह अहम है कि हमारी श्रवण शक्ति बढ़ जाती है। उन्होंने ऐसे लोगों की धार्मिकता पर सवाल खड़ा किया, जो सुनने में विश्वास नहीं रखते और बोलते ही रहते हैं।
विद्याकुंड स्थित श्रीधाम में प्रवचन करते हुए महा मंडलेश्वर महंत प्रेमशंकरदास ने चरित्र निर्माण पर जोर दिया और कहा कि कथा मात्रा श्रवण के लिए ही नहीं है बल्कि उसका निहितार्थ आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि कथा की सर्वाधिक सार्थकता यही है कि हम राम, हनुमान, भरत जैसे शुभ्र चरित्र को निकट भविष्य में अपने बीच पा सकें। इससे पूर्व श्रीधाम में संचालित सीताराम महायज्ञ में घंटों पूरे उत्साह से आहुतियां भी पड़ीं। गोलाघाट स्थित हनुमानकुटी में लक्ष्मण किलाधीश महंत मैथिलीरमणशरण ने भागवत कथा का उद्घाटन किया और कहा कि शुभता-सौमनस्यता का अनुवर्तन ही भागवत चेतना के प्रति समर्पण है। कुटी के महंत रामस्वरूपशरण फलाहारी ने कहा कि राम कथा अथवा भागवत कथा द्वंद से मुक्त होकर परम आनंद के उद्देश्य से है। कथा व्यास आचार्य सूर्याश ने भागवत महात्म्य पर प्रकाश डाला। जानकी महल ट्रस्ट के सभागार में तात्विकता के साथ संगीत से भी श्रोताओं को विभोर किया।
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