Daan: धन-संपदा के लिए जरूर करें इन 3 चीजों का दान, शनि साढ़े साती और ढैय्या से भी मिलेगी मुक्ति
Daan हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व है। अनाज पैसे वस्त्र दान देने के साथ-साथ इन तीन चीजों का दान अवश्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति को हर संकट से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

नई दिल्ली, Daan: सनातन धर्म में दान देने की परंपरा सदियों से चले आ रही है। दान कई प्रकार के होते हैं जिसमें गुप्त दान का सबसे बड़ा दान माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि दान कपने से व्यक्ति को हर कष्ट, पाप से छुटकारा मिल जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से किसी गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मण को दान देता है, तो उसके साथ-साथ पूरे परिवार को पुण्य की प्राप्ति होती है। हर कोई अपने यथार्थ के हिसाब से दान करता है। लेकिन आप चाहे तो इन तीन चीजों का जरूर दान कर सकते हैं।
इन तीन चीजों का करें दान
मांग का टीका
हिंदू धर्म में माना जाता है कि संभव है, तो मांग का टीका जरूर दान करना चाहिए। ऐसा करने से पति के ऊपर आने वाला हर संकट समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही पति की तेजी से तरक्की होती है।
जूते- चप्पल
शास्त्रों में जूते -चप्पल का दान करना काफी शुभ माना जाता है। जहां एक ओर इसे 'काल' से जोड़ा जाता है। कि आने वाले समय में किसी भी तरह का संकट, बीमारी, आर्थिक समस्याओं जैसे समस्याओं से बचाव होगा। इसके अलावा शनि की साढ़े साती और ढैय्या से भी मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि शनि दोष पैरों से ही चढ़ता है। इसलिए शनिवार के दिन काली रंग के जूते-चप्पल दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
जूता दान का मंत्र
उपानहौ प्रदत्ते मे कण्टकादिनिवारणे ।
सर्वमार्गेषु सुखदे अत: शान्तिं प्रयच्छ मे ।।
इस श्लोक का अर्थ है कि कांटों से पैरों की रक्षा करने तथा सभी मार्गों में सुख प्रदान करने वाले ये जूते मेरे द्वारा दान में दिए गए हैं. जो मुझे शान्ति प्रदान करें।
छाता
शास्त्रों के अनुसार, किसी को छाता भेंट करना भी महादान के बराबर माना जाता है। श्राद्ध के दौरान ब्रहाम्णों को छाता देने का मतलब होता है कि पितरों को अरने लोक जाने में रास्ते में हर ऋतु का सामना करना पड़ेगा। इसलिए छाता काफी काम आता है।
छाता दान का मंत्र
इहामुत्रातपत्राणं कुरु मे केशव प्रभो ।
छत्रं त्वत्प्रीतये दत्तं ममास्तु च सदा शुभम् ।।
इस श्लोक का अर्थ है कि हे केशव ! यह छाता मैंने आपकी प्रसन्नता के लिए दिया है। यह छाता मेरे लिए इस लोक तथा परलोक में धूप से रक्षा करने वाला हो, इसके दान से मेरा सदा कल्याण-मंगल होता रहे ।
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