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    Kharmas 2024 Upay: खरमास के दौरान रोजाना करें ये उपाय, करियर को मिलेगा नया आयाम

    ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान गुरु का प्रभाव कम या खत्म हो जाता है। देवगुरु बृहस्पति शुभ कार्य के कारक माने जाते हैं। गुरु का प्रभाव शून्य हो जाने के चलते खरमास (Kharmas 2024 Upay) के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। इस दौरान सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 17 Dec 2024 07:32 PM (IST)
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    Kharmas 2024 Upay: सूर्य देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है। सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने वाली तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। धनु और मीन राशि में सूर्य देव के गोचर करने पर खरमास लगता है। खरमास के दौरान गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसके लिए खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत होने से करियर में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो खरमास के दौरान ये उपाय (Kharmas 2024 Upay) जरूर करें।

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    यह भी पढ़ें: क्यों वर्ष में दो बार लगता है खरमास और क्या है इसका धार्मिक महत्व?

    उपाय

    • खरमास के दौरान रोजाना स्नान-ध्यान के बाद जल में कुमकुम मिलाकर पूर्व दिशा में मुख कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इससे कुंडली में सूर्य मजबूत होगा।
    • सूर्य देव की कृपा पाने के लिए खरमास के दौरान अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार गेहूं, मूंगफली, गुड़, शकरकंद, गर्म कपड़े आदि चीजों का दान करें।
    • अगर नौकरी की तलाश में हैं, तो खरमास के दौरान रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद सूर्य देव के नामों का मंत्र जप करें। इस उपाय को करने से करियर को नया आयाम मिलता है।
    • खरमास के दौरान रोजाना संध्याकाल में तुलसी मां की आरती करें। इस समय एक दीप घर की दहलीज पर भी अवश्य रखें। इस उपाय को करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है।

    सूर्य स्तोत्र

    सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि:।

    गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर:।।

    पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।

    सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।

    इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर:।

    ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम:।।

    वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति:।

    धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन:।।

    कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय:।

    कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण:।।

    संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु:।

    पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन:।।

    कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद:।

    वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।

    भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत:।

    स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत:।।

    अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख:।

    जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।

    मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक:।

    धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत:।।

    द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह:।

    स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।

    देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख:।

    चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित:।।

    एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस:।

    नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।