84 साल बाद Diwali पर बन रहा महासंयोग! घर चलकर आएंगी मां लक्ष्मी, दूर होगी कंगाली
सनातन शास्त्रों में निहित है कि धन की देवी मां लक्ष्मी स्वभाव से बेहद चंचल हैं। एक स्थान पर ज्यादा देर तक नहीं ठहरती हैं। इसके लिए साधक हर शुक्रवार के दिन नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। साथ ही वैभव लक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही दीवाली (Diwali 2025) पर देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में दीवाली (Diwali 2025) पर्व का खास महत्व है। यह पर्व हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही पूजा समय तक व्रत रखा जाता है। दीवाली का त्योहार देश और विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।
धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से कारोबार को भी नया आयाम मिलता है। इस साल की दीवाली बेहद खास रहने वाली है।
84 साल बाद दीवाली पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह संयोग साल 1941 के लगभग समान है। इन योग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
दीवाली 2025 डेट और टाइम (Diwali 2025 Date and Time)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को शाम 03 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को 05 बजकर 54 मिनट पर अमावस्या तिथि की समाप्ति होगी। दीवाली का त्योहार पूर्ण अमावस्या तिथि पर मनाया जाात है। 21 अक्टूबर को संध्याकाल से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। इसके लिए 20 अक्टूबर को दीवाली मनाना उचित होगा। हालांकि, दीवाली की तिथि के लिए आप स्थानीय पंचांग का विचार कर सकते हैं।
दीवाली 2025 शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurat)
कार्तिक अमावस्या तिथि यानी दीवाली पर पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल में 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं, पूजा के लिए प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है। जबकि, वृषभ काल शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 03 मिनट तक है। निशिता काल में देवी मां लक्ष्मी की पूजा का समय रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान साधक सुविधा अनुसार समय पर देवी मां लक्ष्मी की पूजा और उपासना कर सकते हैं।
पंचांग
- सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर
- सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 46 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 02 बजकर 45 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
साल 1941 का पंचांग
वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1941 में सोमवार 20 अक्टूबर को दीवाली मनाई गई थी। इस दिन अमावस्या का संयोग रात 08 बजकर 50 मिनट तक था। इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हुई थी। वहीं, पूजा का समय भी रात 08 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 50 मिनट तक था।
साल 1941 में दीवाली के दिन शिववास योग का संयोग बना था। वहीं, 2025 में दीवाली के दिन शिववास योग का संयोग बनेगा। वहीं, 1941 में चित्रा नक्षत्र का संयोग भी था। कुल मिलाकर कहें तो 84 साल बाद समान दिन, नक्षत्र और योग में दीवाली मनाई जाएगी।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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