अनुशासन ही सफलता की धुरी है
अनुशासन का अर्थ नियम व कायदे के अधीन कार्य करना है। अनुशासन ही सफलता की धुरी है। यही वह नींव की ईंट है जिस पर सफलता का विशाल भवन खड़ा किया जा सकता है। प्रकृति अनुशासन की सबसे बड़ी शिक्षक है। यह हमें प्रतिपल सीख देती है।
अनुशासन की डोर के सहारे सफलता की सीढ़ियों को आसानी से चढ़ा जा सकता है। जीवन में अनुशासन आवश्यक है। अनुशासन का अर्थ नियम व कायदे के अधीन कार्य करना है। स्वअनुशासन में हम स्वयं के लिए अनुशासन बनाते हैं। फिर इसी अनुशासन के साथ दैनिक चर्या का निर्वहन करते हैं। अनुशासित व्यक्ति का जीवन उदाहरण बन जाता है। वह शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से सबल होता है। अनुशासन ही सफलता की धुरी है। यही वह नींव की ईंट है जिस पर सफलता का विशाल भवन खड़ा किया जा सकता है। प्रकृति अनुशासन की सबसे बड़ी शिक्षक है। यह हमें प्रतिपल सीख देती है। ऊंचे पहाड़, बहती नदियां, जल प्रपात, पवन और हिमखंड सभी हमें अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं। ये अनुशासन में बंधे रहते हैं। कल्पना कीजिए कि यदि प्रकृति अनुशासन तोड़ दे तो क्या होगा। नदियां जब अनुशासन की सीमा लांघती हैं तो बाढ़ आ जाती है, हवा अनुशासन को तोड़ती है तो तूफान आ जाता है, पहाड़ अनुशासन तोड़ते हैं तो भूस्खलन होने लगता है। अर्थात जब अनुशासन टूटता है तो अनिष्ट की आशंका बनी रहती है।
हमारे पूर्वजों में गजब का अनुशासन था। ऋषि-मुनि सैकड़ों वर्षो तक जो कठिन तपस्या करते थे वह अनुशासन से ही संभव हो पाता होगा। वर्तमान में अनुशासन का एक बड़ा उदाहरण हमारी सेना है, जो अनुशासन में ऐसे गुंथी हुई है कि हमें प्रेरणा से भर देती है। सेना की पूरी दिनचर्या, सैनिकों का व्यवहार अनुशासन की अभिव्यक्ति हैं। हमें अपने जीवन में प्रखरता लाने के लिए, इसे सफलता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाने के लिए अनुशासनबद्ध परिश्रम करना चाहिए। अनुशासन के बल पर लोकजीवन में अद्भुत एवं अभिनव परिवर्तन किए जा सकते हैं। हमें अनुशासित राष्ट्र के निर्माण में भूमिका निभानी चाहिए। अनुशासित नागरिक ही अनुशासित राष्ट्र बना सकता है। ऐसा ही राष्ट्र विकास के पथ पर बढ़कर समृद्धि का सिरमौर बन सकता है।
ललित शौर्य
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।