Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhumavati Jayanti 2021: आज है धूमावती जयंती, जानें पूजा मंत्र, महत्व और कथा

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 18 Jun 2021 06:29 AM (IST)

    Dhumavati Jayanti 2021 मां पार्वती के अत्यंत उग्र रूप को धूमावती के नाम से जाना जाता है। इनके अवतरण दिवस को धूमावती जयंती के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को यह जंयती मनाई जाती है।

    Hero Image
    Dhumavati Jayanti 2021: आज है धूमावती जयंती, जानें पूजा मंत्र, महत्व और कथा

    Dhumavati Jayanti 2021: मां पार्वती के अत्यंत उग्र रूप को धूमावती के नाम से जाना जाता है। इनके अवतरण दिवस को धूमावती जयंती के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को यह जंयती मनाई जाती है, इस वर्ष आज 18 जून को है। इस दिन 10 महाविद्या का पूजन किया जाता है। मां धूमावती को विधवा स्वरूप माना गया है। इनका वाहन कौवा है। श्वेत वस्त्र धारण कर माता खुले केश रखती हैं। माता की पूजा गुप्त नवरात्रि में भी की जाती है। मां धूमावती की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए क्योंकि इनकी कृपा से मनुष्‍य के समस्त पापों का नाश होता है। इसके अलावा दुःखों आदि से भी छूटकारा प्राप्त होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धूमावती मंत्र

    धूमावती जयंती पर रुद्राक्ष माला से 108, 51 या 21 बार इन मंत्रों का जाप करें।

    ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्॥

    धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

    धूमावती माता की उत्पत्ति कथा

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी। इस दौरान कैलाश पर्वत पर खाने-पीने को कुछ भी नहीं था। उन्होंने भगवान शिव से भोजन मांगा, पंरतु उस समय भोलेनाथ समाधि में थे। भूख से व्याकुल मां ने बार-बार खाने की मांग की, पंरतु समाधि अवस्था में होने के कारण महादेव ने जवाब नहीं दिया। बढ़ती भूख की वजह से बैचेन होकर माता पार्वती ने भगवान शिव को ही निगल गईं। शिव के गले में विष होने से पार्वती जी का शरीर काला पड़ने लगा। जहर का प्रभाव इतना भयंकर हुआ कि वो कुरूप दिखने लगीं, जिसके बाद भगवान शिव ने कहा कि आपके इस स्वरूप को धूमावती के नाम से पुकारा जाएगा। पति को निगलने के कारण उन्हें एक विधवा के रूप में पूजा जाता है। माता पार्वती का यह रूप बहुत ही कुरूप और क्रूर दिखाई पड़ता है। तभी से माता के विधवा स्वरूप (श्वेत वस्त्र और खुले केश) को पूजा जाता हैं।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'