Yagya and Havan difference: जानिए यज्ञ और हवन में क्या है बड़ा अंतर?
Yagya and Havan यज्ञ और हवन दोनों ही पूजा-पाठ एवं कर्मकांड का हिस्सा हैं पर दोनों का अर्थ और करने की विधि में अंतर होता। सामान्य रूप से सनातन धर्म को मानने वाले यज्ञ और हवन दोनों में ही आस्था रखते हैं।

नई दिल्ली, Yagya and Havan difference: सामान्य रूप से सनातन धर्म को मानने वाले यज्ञ और हवन दोनों में ही आस्था रखते हैं। कई बार हवन और यज्ञ दोनों में ही आहुति के चलते लोग मान लेते हैं, कि इनका एक ही अर्थ है। हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। पंडित देवनारायण बता रहे हैं कि दोनों ही कार्यों का क्या महत्व है, और उन में क्या अंतर है।
यज्ञ का अर्थ और करने की विधि
यज्ञ एक वैदिक प्रक्रिया है। जिसका वैदिक ब्राह्मण ग्रंथों में जिक्र मिलता है। व्यापक रूप से इसमें हवन भी होते हैं, लेकिन इन के आयोजन में बहुत समय लगता है। साथ ही यज्ञ के नियम बहुत कठिन होते हैं जैसे 11 या 121 बार पाठ करके जो अग्नि कर्म रुद्र होम होता उसे हवन कहते हैं। वहीं 121 ब्राह्मण 11-11 बार पाठ करके जो अग्निकर्म करते हैं, उसे महारुद्र यज्ञ कहते हैं। जब यही कार्य 1331 ब्राह्मण करते हैं तो उसे अति रूद्र महायज्ञ कहते हैं। यज्ञ उपासना के साथ-साथ वैदिक कर्मकांड भी है। यज्ञ में देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक और दक्षिणा का होना अनिवार्य है। यज्ञ किसी खास उद्देश्य, इच्छा की पूर्ति और अनिष्ट को टालने के लिए किया जाता है।
क्या है हवन
हवन लघु रूप से किया जाने वाला अग्नि कार्य है। हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता को हवि अर्थात भोजन पहुंचाने की प्रक्रिया होती है। आजकल की पूजा पद्धति के अनुसार देवी देवताओं की उपासना के रूप में अभिषेक अर्चना और जब के साथ जो खून किया जाता है उसे हवन कहते हैं बहुत से हवन वैदिक प्रक्रिया के अंतर्गत नहीं आते इन हवन में आदि जैसे सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है कई बार लो ग्रह शांति या नए घर में प्रवेश करने पर वास्तु दोष दूर करने के लिए भी हवन कराते हैं। ऐसे में हवन को यज्ञ का छोटा रूप कहा जा सकता है। पूजा के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति हवन होती है।
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