Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhanteras 2024: कब और कैसे हुई आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि की उत्पत्ति ?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 24 Oct 2024 12:55 PM (IST)

    हर वर्ष कार्तिक महीने में दीपोत्सव का त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान धनतेरस और दीवाली समेत गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाए जाते हैं। धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा (Dhanteras 2024 Puja Vidhi) की जाती है। वहीं दीवाली के अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान धन्वन्तरि की पूजा की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    Hero Image
    Dhanteras 2024: भगवान धन्वन्तरि को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान धन्वन्तरि को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने से व्यक्ति को आय, सुख, सौभाग्य, ऐश्वर्य, एवं संपत्ति समेत सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान धन्वन्तरि को आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। ज्योतिष एवं आयुर्वेद के जानकार सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति हेतु भगवान धन्वन्तरि (God Dhanvantri) की उपासना करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान धन्वन्तरि की उत्पत्ति कैसे हुई ? आइए, भगवान धन्वन्तरि के अवतरण की कथा जानते हैं-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: 29 या 30 अक्टूबर, कब है धनतेरस? नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त

    भगवान धन्वंतरि अवतरण कथा

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि ऋषि दुर्वासा के श्राप के चलते स्वर्ग लोक लक्ष्मी विहीन हो गई थी। यह जान दानवों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर देवताओं को खदेड़ दिया और स्वर्ग पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। स्वर्ग नरेश इंद्र देव सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने उन्हें जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास जाने की सलाह दी।

    यह जान सभी देवता बैकुंठ भगवान विष्णु के पास पहुंचे। भगवान विष्णु को पूर्व से जानकरी थी। इसके लिए उन्होंने तत्क्षण देवताओं को समुद्र मंथन की सलाह दी। साथ ही यह भी सलाह दी कि किसी भी कीमत पर असुर अमृत पान न कर सके। अगर असुरों ने अमृत पान कर लिया, तो फिर उन्हें युद्ध में परास्त करना मुश्किल हो जाएगा।

    इसके बाद देवताओं ने असुरों की मदद से समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। समुद्र मंथन के दौरान प्रथम रत्न में विष प्राप्त हुआ, जिसे देवों के देव महादेव ने देवताओं के अनुरोध पर सृष्टि की रक्षा के लिए धारण किया। वहीं, अंतिम रत्न अमृत कलश था, जिसे भगवान धन्वन्तरि लेकर प्रकट हुए थे। इस कलश में अमृत था। अमृत पान के चलते देवता अमर हुए। इसके लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। साथ ही बर्तन, स्वर्ण और चांदी से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है। 

    यह भी पढ़ें: कब और क्यों मनाया जाता है धनतेरस? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा का सही समय

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।