Yama Deepam 2022: धनतेरस से एक दिन पहले यम दीपक जलाने का शुभ योग, जानिए विधि और मंत्र
Yama Deepam 2022 कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यम दीपक जलाने की परंपरा है। इस बार त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसलिए इसी शाम को यमराज के नाम का दीपक जलाना शुभ होगा।

नई दिल्ली, Dhanteras 2022 Yama Deepam : हिंदू पंचाग के अनुसार, पांच दिनों तक चलने वाला दिवाली का पर्व धनतेरस के साथ आऱंभ हो जाता है। धनतेरस के दिन शाम को मां लक्ष्मी, कुबेर भगवान की पूजा करने के साथ यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन शाम के समय दक्षिण दिशा में एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपक कहते हैं। इस साथ त्रयोदशी तिथि दो दिन होने के कारण यमदीपक 22 अक्टूबर को जलाया जाएगा और धनतेरस 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। जानिए यम दीपक जलाने का तरीका, शुभ मुहूर्त और कारण।
यम दीपक जलाने की तिथि और मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 22 अक्टूबर 2022 को 18:02 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 23 अक्टूबर 2022 को 18:03 बजे
शाम के समय दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसलिए यमदीपक 22 अक्टूबर को जलाया जाएगा।
यम दीपम सायान्ह सन्ध्या- 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट से 7 बजकर 1 मिनट तक
क्यों जलाते हैं यम दीपक?
धनतेरस के दिन यम दीपक जलाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार किसी राज्य में एक हेम नामक राजा था। देव की कृपा से उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। पंडितों को जब पुत्र की कुंडली दिखाई तो पता चला कि शादी के चार बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया जहां पर किसी कन्या की परछाई तक उस पर न पड़े। लेकिन वहीं उसने विधिवत तरीके से एक राजकुमारी से शादी कर ली। विधि के अनुसार शादी के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार को लेन आ गए। यह देख राजकुमारी खूब रोई। यह सब बातें दूतों ने यमराज को बता दीं और एक यमदूत ने कहा -हे यमराज कोई ऐसा तरीका नहीं है व्यक्ति अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। तब यमराज से कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शाम के समय दक्षिण दिशा में मेरे नाम से जो दीपक जलाएगा। उसे अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाएगी। इसी कारण हर साल इस दिन दीपक जलाने की प्रथा है।
ऐसे जलाएं यम दीपक
धनतेरस के दिन आटे का चौमुखी दीपक बना लें या मिट्टी के दीपक में चारों ओर बाती लगा लें औऱ सरसों का तेल भर दें।। इसके बाद घर की दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके इस दीपक को जला दें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप कर लें।
मंत्र
मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्
Pic Credit- Freepik
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।