Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhanteras 2022: जानिए कैसे एक चोर बन गया धन और ऐश्वर्य का देवता

    By Shantanoo MishraEdited By:
    Updated: Fri, 21 Oct 2022 03:30 PM (IST)

    Dhanteras 2022 हिन्दू धर्म में धनतेरस पर्व के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह पूर्व जन्म में चोर थे? अगर नहीं ...और पढ़ें

    Hero Image
    Dhanteras 2022: कुबेर महाराज धन देवता से पहले करते थे चोरी।

    नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Dhanteras 2022, Secretes of Kuber: सभी तीज-त्योहारों में धनतेरस और दिवाली पर्व को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। इस वर्ष यह पर्व 22 अक्टूबर 2022, शनिवार (Dhanteras 2022 Date) के दिन मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन कुबेर देवता की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में कभी आर्थिक संकट उत्पन्न नहीं होता है। लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि धन देवता कुबेर अपने पूर्व जन्म में एक चोर थे? आइए जानते हैं कैसे एक चोर बन गया धन व ऐश्वर्य का देवता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कैसे एक चोर बन गया धन का देवता (Bhagwan Kuber ki Kahani)

    किवदंतियों के अनुसार कुबेर लंकापति रावण के सौतेले भाई हैं। जिन्हें धन का देवता माना जाता है। लेकिन स्कंद पुराण के अनुसार पूर्वजन्म में भगवान कुबेर का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। जिनका नाम गुणनिधि था। लेकिन उसमें एक अवगुण था कि वह चोरी करने लगा था। जब इस बात का पिता को पता चला तब उसे अपने घर से निकाल दिया। किसी बड़े का सानिध्य न होने के कारण गुणनिधि और भी गलत कार्यों में फंसता चला गया।

    देश निकाले जाने के बाद गुणनिधि लम्बे समय तक भूखा-प्यासा भटकता रहा। तब किसी अन्य नगरी में भूख म‌िटाने के ल‌िए मंद‌िर से प्रसाद चुराने की योजना बनाई और जैसे ही उसे मौका मिला वह मन्दिर में जा पहुंचा। जैसे ही गुणनिधि ने मंदिर में प्रवेश किया उसने खुदको को पुजारी की नजरों से बचाने के लिए दीपक के सामने अपना अंगोछा फैला दिया। लेकिन भाग्य के आगे किसका वश चलता है। इसलिए चोरी करते हुए गुणनिधि को पकड़ लिया गया और इसी हाथापाई में उसकी मृत्यु हो गई।

    मृत्यु के उपरांत जब यम दूत आ रहे थे तब दूसरी ओर से भगवान शिव के दूत भी आ रहे थे। गुणनिधि को भगवान शिव के पास ले जाया गया क्योंकि भोलेनाथ को यह प्रतीत हुआ कि गुणनिधि ने अंगोछा बिछाकर उनके लिए जल रहे दीपक को बुझने से बचाया है। इसी बात से प्रसन्न होकर उन्होंने गुणनिधि को कुबेर की उपाधि प्रदान की और देवताओं के धन का खजांची बनने का आशीर्वाद दिया।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।