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    Devshayani Ekadashi 2025: भगवान विष्णु 4 महीने रहेंगे योग निद्रा में, जानिए शिवजी कहां से चलाएंगे सृष्टि

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 07:00 AM (IST)

    Devshayani Ekadashi 2025 आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव संभालते हैं जो कैलाश छोड़कर हरिद्वार के कनखल में विराजते हैं। बाद में यह जिम्मेदारी श्रीकृष्ण गणेश पितृ मां दुर्गा और मां लक्ष्मी के हाथों में जाती है।

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    Devshayani Ekadashi 2025: चातुर्मास का पहला महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह श्रावण है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी इस साल 6 जुलाई 2025 को है। इस दिन से सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। सवाल यह है कि वह योग निद्रा में कहां सोने जाते हैं। जब श्रीहरि योग निद्रा में होते हैं, तब सृष्टि का संचालन कैसे होता है। कौन संभालता है यह जिम्मेदारी। 

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    यदि आपके भी मन में इस तरह के सवाल हैं, तो आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन से क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसी दिन से चातुर्मास शुरू हो जाते हैं। यानी तप करने के चार महीनों का समय शुरू हो जाता है, जब मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और पूजा-पाठ, धर्म-कर्म के कार्य किए जाते हैं। 

    भोलेनाथ संभालते हैं सृष्टि

    भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के बाद भगवान शिव के हाथों में सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी रहती है। वह कैलाश धाम को छोड़कर धरती पर आते हैं। चातुर्मास का पहला महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह श्रावण है। कहते हैं कि इस दौरान शिवजी हरिद्वार में अपने परिवार के सहित रहते हैं। 

    सावन मास में भोलेनाथ अपनी ससुराल हरिद्वार स्थित कनखल में दक्षेश्वर महादेव के नाम से विराजते हैं। यहीं से वह सृष्टि का संचालन करते हैं।

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    फिर ये देवी-देवता संभलाते हैं जिम्मेदारी

    इसके बाद कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व होने के कारण सृष्टि की कमान श्री कृष्ण संभालते हैं। उनके बाद अनंत चतुर्दशी का पर्व आने के चलते सृष्टि को संभालने की जिम्मेदारी विघ्नहर्ता भगवान गणेश की होती है। इसके बाद अश्विन मास में सृष्टि का संचालन पितृ करते हैं। 

    इसके बाद मां के नौ रूपों में की आराधना का पर्व नवरात्रि होने की वजह से सृष्टि के संचालन का काम मां दुर्गा करती हैं। इसके बाद दिवाली तक श्रीहरि के उठने यानी देवउठनी ग्यारस तक मां लक्ष्मी सृष्टि को चलाती हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।