Devshayani Ekadashi 2025: आज है देवशयनी एकादशी, एक क्लिक में जानें पूजा विधि से लेकर सबकुछ
आषाढ़ महीने में आने वाली देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) को बहुत पावन माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल यह एकादशी आज यानी 06 जुलाई 2025 दिन रविवार को मनाई जा रही है तो आइए यहां एकादशी की पूजा विधि से लेकर सभी बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवशयनी एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है। यह विष्णु भगवान को समर्पित है। हिंदू धर्म में इस दिन को बहुत विशेष माना जाता है, जो साधक इस व्रत को रखते हैं, उन्हें अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। प्रत्येक माह में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल यह एकादशी आज यानी 06 जुलाई, 2025 दिन रविवार को मनाई जा रही है। इसे आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन (Devshayani Ekadashi 2025) भक्तिपूर्ण उपासना करते हैं, उन्हें धन-वैभव और अपार यश की प्राप्ति होती है, तो आइए यहां पूजा विधि से लेकर सभी प्रमुख बातों को जानते हैं।
- भोग - पीली मिठाई व केसर की खीर।
- प्रिय फूल - पीले फूल और अपराजिता के फूल।
देवशयनी एकादशी पूजा विधि (Devshayani Ekadashi 2025 Puja Vidhi )
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
- पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
- एक वेदी लें, उसपर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- उनका पंचामतृ और गंगाजल से अभिषेक करें।
- फिर उन्हें फूल-माला चढ़ाएं, चंदन का तिलक लगाएं।
- पूजा में तुलसी पत्र शामिल करें।
- पंचामृत, फल और केसर की खीर व घर पर बना प्रसाद अर्पित करें।
- एकादशी कथा का पाठ करें और श्री हरि के मंत्रों का जाप करें।
- आरती से पूजा को पूरी करें और परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें।
- इस दिन चावल से परहेज करें।
- अगले दिन प्रसाद से व्रत का पारण करें।
देवशयनी एकादशी पूजा और पारण समय (Devshayani Ekadashi 2025 Puja Or Paran Timing)
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। ऐसे में इस बार देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 07 जुलाई को होगा। इस दिन सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट के बीच पारण करने का समय है। त्रिपुष्कर योग रात 09 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 42 मिनट तक है।
रवि योग सुबह 05 बजकर 56 मिनट से रात 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। एकादशी पर त्रिपुष्कर योग के साथ अनुराधा नक्षत्र का संयोग दिन को और भी ज्यादा शुभ बना रहा है।
यह भी पढ़ें: Sawan 2025: सावन शुरू होने से पहले घर से निकाल दें ये चीजें, वरना मिल सकते हैं बुरे परिणाम
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।