Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी के दिन करें ये काम, मिलेगी सुख-समृद्धि और रहेंगे निरोगी
Devshayani Ekadashi 2025 देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस एकादशी पर व्रत और पूजन से सुख-समृद्धि मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है। एकादशी व्रत के प्रभाव के बारे में महाभारत में भी वर्णन मिलता है। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशनयी एकादशी भी कहते हैं, इस साल 6 जुलाई 2025 को है। इस दिन से सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे। इस एकादशी के दिन आप कुछ ऐसे विधान कर सकते हैं, जिससे आपको सुख-समृद्धि मिल सकती है।
एकादशी के दिन किए जाने वाले इन कामों से न सिर्फ आपको निरोगी काया मिलेगी, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष का रास्ता भी खुल जाएगा। एकादशी के व्रत के बारे में महाभारत में भी वर्णन सुनने और पढ़ने को मिलता है। एकादशी के व्रत की वजह से पितामाह भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था।
भीष्म पितामह ने बाणों की शैया पर लेटे होने पर भी एकादशी का व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें अपनी मृत्यु का समय स्वयं चुनने का अधिकार मिला और उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागे थे। एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग में हजार वर्ष तक रहने का फल मिलता है।
एकदशी के व्रत से मिलती है निरोगी काया
कहावत है कि पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया। एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को यह दोनों ही चीजें मिलती हैं। देवशयनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को बीमारियां नहीं होती हैं और वह निरोगी काया प्राप्त करता है। मां लक्ष्मी की कृपा होने से घर में कभी पैसों की तंगी नहीं होती है।
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संकटों का नाश होता है
देवशयनी एकदाशी के बाद श्रीहरि योगनिद्रा में चले जाते हैं। उनके सोने से पहले जो इस इस विधिवत पूजन करता है, कथा सुनता है और व्रत का पालन करता है, उसके जीवन में आ रहे सभी संकट खत्म होने लगते हैं। जब पूर्व पाप नष्ट हो जाते हैं, तो फिर भाग्योदय होना शुरु होता है और व्यक्ति समस्त सुखों को भोगता है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए ये करें
कहते हैं देवशयनी एकदाशी के दिन तुलसी-शालिग्राम की पूजा करने से मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। शाम के समय तुलसी के पौधे पास घी का दीपक लगाएं। इसके बाद ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें। इससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
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