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Dev Uthani Ekadashi 2023: देवउठनी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा, जानें महत्व-पूजा समय और विशेष मंत्र

Dev Uthani Ekadashi 2023 देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर भक्त व्रत रखते हैं और बड़ी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करते हैं। यह कार्तिक माह में आती है और कार्तिक माह का अपना धार्मिक महत्व है क्योंकि यह पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediPublished: Mon, 20 Nov 2023 09:43 AM (IST)Updated: Mon, 20 Nov 2023 09:43 AM (IST)
Dev Uthani Ekadashi 2023: देवउठनी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Dev Uthani Ekadashi 2023: देवउठनी एकादशी 24 एकादशियों में से सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक है। इसे शास्त्रों में सबसे शुभ दिन माना जाता है। देवउठनी का हिंदू धर्म में बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है।

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देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी।

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देवउठनी एकादशी 2023 तिथि और समय

एकादशी तिथि आरंभ - 22 नवंबर 2023 - रात्रि 11: 03

एकादशी तिथि समाप्त - 23 नवंबर 2023, रात्रि 09:01

पूजा का समय- सुबह 06:50 से सुबह 08:09 तक

पारण का समय - 24 नवंबर 2023- सुबह 06:51 से सुबह 08:57 तक

देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र एकादशियों में से एक माना गया है। इसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन पर साधक व्रत रखते हैं और बड़ी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। यह कार्तिक माह में आती है और कार्तिक माह का अपना धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित है।

इसी दिन, भगवान विष्णु चार महीने के बाद जागेंगे, जिसे चातुर्मास के रूप में जाना जाता है। साथ ही इस दिन से ही सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाएगी।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करते हैं और पंचामृत, फल, तुलसी पत्र और भोग प्रसाद चढ़ाते हैं। अंत में भगवान विष्ण के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती श्रद्धा के साथ करें। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु को गन्ना, सिंघाड़ा और सेवइयां अर्पित करने का भी विधान है।

भगवान विष्णु के मंत्र

  • ॐ आं संकर्षणाय नम:
  • ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
  • ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
  • ॐ नारायणाय नम:
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।


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