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    किस दिन हुआ था त्रिपुरासुर राक्षस का अंत, त्रिपुरारी की विजय पर मनाई जाती है देव दिवाली

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 29 Nov 2020 01:35 PM (IST)

    कार्तिक पूर्णिमा के विशेष दिन देव दीपावली मनाने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि वो कार्तिक पूर्णिमा का ही दिन था जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक् ...और पढ़ें

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    किस दिन हुआ था त्रिपुरासुर राक्षस का अंत, त्रिपुरारी की विजय पर मनाई जाती है देव दिवाली

    कार्तिक पूर्णिमा के विशेष दिन देव दीपावली मनाने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि वो कार्तिक पूर्णिमा का ही दिन था जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, इससे देवता प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दे दिया। तब शिवजी के साथ सभी देवता काशी में आए थे और खुशियां मनाई थी। आज भी इसी संदर्भ में काशी में देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है और दीपदान किया जाता है। देव दीपावली 29 नवंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी।

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    दीपदान: 

    ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन दीपदान करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का दिन है। इस दिन पूजापाठ करके आप देव-देवताओं से भूलचूक के लिए माफी मांग सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान लक्ष्मी-नारायण की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही अगर संभव हो तो भगवान सत्यनारायण की कथा जरूर सुनें।

    कार्तिक पूर्णिमा का महत्व: 

    हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि इस दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरा नाम के राक्षस का अंत किया था। इस वजह से कई स्थातनों पर इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन गंगाजी में डुबकी लगाने भी विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन गंगा में स्नाकन करने से आपके सभी पापों का अंत होकर आपको पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन जरूरतमंदों को दान करने का भी विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन का किया गया दान आपको कई गुना फल देता है। दान करने वालों को स्व्र्ग में स्था न मिलता है। इस दिन गाय के बछड़े को दान करने से भी आपको शुभ गुण वाली संतान प्राप्त होती है।

    भगवान शिव बने थे त्रिपुरारी: 

    पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध इसी दिन किया था। इससे देवताओं को इस दानव के अत्यााचारों से मुक्ति मिली और देवताओं ने खुश होकर भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम दिया।

    भगवान विष्णु का प्रथम अवतार: 

    पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान विष्णुन का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार के रूप में भगवान विष्णुव मत्स्ुय यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे। इस दिन सत्यमनारायण भगवान की कथा करवाकर जातकों को शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '