Dev Diwali 2024 Date: नवंबर महीने में कब है देव दीपावली? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देवों के देव महादेव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस शुभ अवसर पर देव दीपावली मनाई जाती है। देव दीपावली (Dev Diwali 2024) पर गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर अभिजीत मुहूर्त का संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व है। यह महीना पूर्णतया भगवान विष्णु को समर्पित है। इस महीने में प्रतिदिन भगवान विष्णु एवं तुलसी माता की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि चार महीने के विश्राम के बाद भगवान विष्णु कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर उत्सव मनाया जाता है। इसके अगले दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपवाली मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान शिव की पूजा (Dev Diwali 2024) करते हैं। वहीं, संध्याकाल में गंगा आरती की जाती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी और 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर देव दीपावली मनाई जाती है। अत: 15 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी। देव दीपावली को प्रदोष काल संध्याकाल 05 बजकर 10 मिनट से लेकर 07 बजकर 47 मिनट तक है। इस समय गंगा आरती की जाएगी।
वरीयान योग
कार्तिक पूर्णिमा पर वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण देर सुबह 07 बजकर 31 मिनट से हो रहा है। ज्योतिष वरीयान योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
भद्रावास योग
कार्तिक पूर्णिमा पर भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग शाम 04 बजकर 37 मिनट तक है। ज्योतिष भद्रावास योग को शुभ मानते हैं। इस समय तक भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग में रहने के दौरान पृथ्वी वासियों का कल्याण होता है। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
करण योग
कार्तिक पूर्णिमा पर बव करण का निर्माण हो रहा है। बव करण का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 38 मिनट से हो रहा है। बव करण का संयोग 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट तक है। ज्योतिष बव करण को शुभ मानते हैं। इन योग में महादेव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
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