December Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर बने रहे हैं ये अद्भुत योग, पूजा का मिलेगा दोगुना फल
हिंदू धर्म में गुरु प्रदोष व्रत को बेहद लाभकारी माना जाता है। इस दिन लोग भगवान शंकर की पूजा करते हैं। पंचांग के अनुसार 13 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास का अंतिम प्रदोष व्रत ( Pradosh Vrat 2024) रखा जा रहा है। वहीं इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है जिसमें पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। पंचांग के अनुसार, 13 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जायेगा। इस पवित्र दिन पर शिव भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से शिव परिवार की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
वहीं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन (December Pradosh Vrat 2024) कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
प्रदोष व्रत डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 12 दिसंबर को देर रात 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 13 दिसंबर को शाम 07 बजकर 40 मिनट पर होगा। ऐसे में 13 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जायेगा।
इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इस बार यह दिन शुक्रवार को पड़ रहा है, जिस वजह से यह शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं ये शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
पंचांग को देखते हुए इस बार प्रदोष व्रत पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। दरअसल, इस दिन शिव और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। शिव योग सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ इस पावन दिन पर रवि योग भी बन रहा है।
कहा जा रहा है कि इस शुभ योग में शिव पूजन (December Pradosh Vrat Rituals) करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
प्रदोष व्रत शिव पूजन मंत्र (Pradosh Vrat Puja Mantra)
1. ॐ नमः शिवाय।
2. ॐ पार्वतीपतये नमः।
3. ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
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