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    Dahi Handi 2023: आज मनाया जाएगा दही हांडी उत्सव, जानिए तिथि और इस पर्व से जुड़ी रोचक कथा

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Thu, 07 Sep 2023 09:54 AM (IST)

    Dahi Handi 2023 हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांडी महोत्सव मनाया जाता है। यह पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व को द्वापर युग से ही मनाया जा रहा है। लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात में यह पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है।

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    Dahi Handi 2023: आज मनाया जाएगा दही हांडी पर्व।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Dahi Handi 2023: हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को दूध से बनी चीजें, खासकर मक्खन कितना प्रिय है। उनकी उपासना में मक्खन, दूध, दही इत्यादि का भोग अवश्य लगाया जाता है। वेद एवं ग्रंथों में भी यह भी वर्णित है कि बाल लीलाओं के समय भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों की हांडियों से मक्खन या दही खाया करते थे। इसी लीला को आज भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसे दही हांडी के नाम से जाना जाता है। दही हांडी पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी जन्माष्टमी के अगले दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

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    दही हांडी महाराष्ट्र, गुजरात सहित पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को 'गोपाल कला' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग से ही दही हांडी की परंपरा चली आ रही है। आइए जानते हैं, वर्ष 2023 में किस मनाया जाएगा दही हांडी महोत्सव और इसका महत्व?

    दही हांडी 2023 तिथि

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तिथि का समापन 07 सितंबर 2023 शाम 04:14 पर होगा और इसी समय से नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। ऐसे में दही हांडी का पर्व 07 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

    क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व

    भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला की कथाओं में माखन चुराकर खाने की कथा भी बहुत प्रचलित है। भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ आस-पड़ोस के घरों में जाकर दही और माखन चोरी करके खाते थे। चोरी होने के डर से सभी गोपियों ने दही और माखन की हांडी को घरों की छत पर लटकाना शुरू कर दिया। लेकिन श्री कृष्ण और उनके सभी सखा मानव श्रृंखला बनाकर हांडी तक पहुंच जाते थे और चाव से माखन खाते थे। सबसे ऊपर श्री कृष्ण रहते। तब से श्री कृष्ण की इस लीला को दही हांडी उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।