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    Chhath Puja 2025 Day 3: संध्या अर्घ्य में न करें ये गलतियां, वरना भुगतने पड़ सकते हैं बुरे परिणाम

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 09:59 AM (IST)

    छठ पूजा सूर्य देव और छठी माता को समर्पित आस्था का महापर्व है। इसका तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और कठिन भाग है। इस दिन व्रती को कई सारे नियमों का पालन करना पड़ता है, आइए उन नियमों के बारे में जानते हैं।

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    Chhath Puja 2025 Day 3: संध्या अर्घ्य के नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2025: छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह आस्था, पवित्रता और कठोर अनुशासन का महापर्व है। आज इस चार दिवसीय अनुष्ठान का तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) देने का शुभ समय है। यह दिन व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और कठिन भाग होता है, जब व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस दिन व्रतियों और उनके परिवार के सदस्यों को कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है, तो आइए उन नियमों को जानते हैं।

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    संध्या अर्घ्य में भूलकर भी न करें ये 5 काम (Sandhya Arghya Donts)

    तीसरे दिन, व्रती को सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक न तो अन्न ग्रहण करना चाहिए और न ही जल की एक बूंद पीनी चाहिए। इस व्रत को बीच में तोड़ने का मतलब है छठी माता को नाराज करना।
    प्रसाद बनाते समय या अर्घ्य के सूप को सजाते समय, अगर आप व्रत नहीं कर रहे हैं तो हाथ धोए बिना उसे न छूएं। प्रसाद को बनाते समय या पूजा की सामग्री को छूते समय अपवित्र हाथों से, बिना स्नान किए, या चप्पल पहनकर काम न करें।
    व्रत के दौरान व्रती को शांत और सात्विक मन रखना चाहिए। तीसरे दिन कठोर तपस्या के समय क्रोध करना, किसी को अपशब्द कहना या घर में लड़ाई का माहौल बनाना वर्जित है। मान्यता है कि इससे व्रत का फल नष्ट हो जाता है और घर में नकारात्मकता आती है।

    संध्या अर्घ्य के दिन क्या करें? (Sandhya Arghya Dos?)

    सूर्यास्त के समय को ध्यान में रखते हुए, सभी तैयारी के साथ समय से पहले ही किसी पवित्र नदी या घर पर बनाए गए जलकुंड के किनारे पहुंच जाएं।
    व्रती शुद्ध और पारंपरिक कपड़े पहनें।
    अर्घ्य के दौरान व्रती और अर्घ्य में शामिल होने वाले लोग पवित्रता का खास ख्याल रखें।
    व्रती सूप को अपने हाथों में लेकर, या किसी मदद से, दूध और गंगाजल का अर्घ्य दें। अर्घ्य की धारा डूबते हुए सूर्य की ओर दी जाती है।
    अर्घ्य देते समय, लोटे को हाथ में इस तरह पकड़ना चाहिए कि जल की धारा के बीच से सूर्य की किरणें दिखाई दें।
    अर्घ्य देते समय वैदिक मंत्रों का जप करें।
    अर्घ्य देने के बाद, सूप में रखे गए घी के दीपक को जलाकर जल में प्रवाहित करें या घाट पर किनारे रखें।
    घाट पर परिवार के बुजुर्गों या पंडित जी से छठ व्रत की कथा सुनें।
    आरती के बाद छठी मैया से संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्रार्थना करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।