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    Chhath Puja 2024: क्यों मनाई जाती है छठ पूजा? जानिए इसका धार्मिक महत्व

    Updated: Sat, 02 Nov 2024 11:52 AM (IST)

    छठ पूजा पर लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही छठी माता प्रसन्न होकर जीवन की सभी बाधाओं को हर लेती हैं। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है तो आइए जानते हैं कि यह महापर्व क्यों (Why Chhath Puja is Celebrated?) मनाया जाता है?

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    Chhath Puja 2024: क्यों मनाई जाती है छठ पूजा?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में मनाया जाता है। इस दिन भक्त छठी मईया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना और कठिन व्रत का पालन करते हैं। हिंदुओं के महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक माना जाने वाला छठ पूजा 4 दिनों तक चलता है। यह साल में दो बार चैत्र और कार्तिक महीने में मनाया जाता है। कार्तिक माह में आने वाले इस महापर्व (Chhath Puja 2024) की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय-खाय से होगी। वहीं, इसका समापन 8 नवंबर-उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    क्यों मनाई जाती है छठ पूजा? (Why Chhath Puja is Celebrated?)

    छठ पूजा का पर्व सूर्य देव को धन्यवाद देने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। लोग इस दौरान सूर्य देव की बहन छठी मईया की भी पूजा करते हैं। वहीं, इस पावन पर्व को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक का जिक्र आज हम करेंगे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब कुष्ट रोग से पीड़ित थे, जिसके चलते मुरलीधर ने उन्हें सूर्य आराधना की सलाह दी। कालांतर में साम्ब ने सूर्य देव की विधिवत व सच्चे भाव से पूजा की। भगवान सूर्य की उपासना के फलस्वरूप साम्ब को कुष्ट रोग से मुक्ति मिल गई। इसके बाद उन्होंने 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया था। इनमें सबसे प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर है, जो ओडिशा में है। इसके अलावा, एक मंदिर बिहार के औरंगाबाद में है। इस मंदिर को देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है।

    ऐसा माना जाता है कि चिरकाल में जब देवताओं और असुरों के मध्य युद्ध हुआ, तो इस युद्ध में देवताओं को हार का सामना करना पड़ा। उस समय देव माता अदिति ने इसी स्थान पर (देवार्क सूर्य मंदिर) पर संतान प्राप्ति हेतु छठी मैया की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर छठी मईया ने अदिति को तेजस्वी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। कालांतर में छठी मईया के आशीर्वाद से आदित्य भगवान का अवतार हुआ। आदित्य भगवान ने देवताओं का प्रतिनिधित्व कर देवताओं को असुरों पर विजय दिलाई। तभी से पुत्र प्राप्ति, संतान व परिवार की सुरक्षा हेतु छठ पूजा की जाती है, जिसके शुभ फल से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन सुखमय रहता है।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।