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    Chhath Puja 2024: छठ पूजा के व्रत से संतान का जीवन होता है सुखी, यहां पढ़ें इस महापर्व से जुड़े 10 सवालों के जवाब

    Updated: Wed, 06 Nov 2024 03:44 PM (IST)

    छठ पूजा (Chhath Puja 2024) के पर्व को बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि से होती है और चार दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस व्रत का पारण अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है।

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    Chhath Puja 2024: यहां पढ़ें से छठ पूजा से संबंधित सवाल (Pic Credit-Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। छठ पूजा का पर्व छठी मैया और सूर्य देव को समर्पित है। इस महापर्व को 04 दिन तक मनाया जाता है। कार्तिक माह में मनाए जाने वाले इस त्योहार के पहले दिन नहाय खाय की परंपरा को निभाया जाता है। इसके अगले दिन खरना पूजा होती है। इसके बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इसके अगले दिन व्रत किया जाता है और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इस दौरान जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि व्रत को सच्चे मन से करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही परिवार के सदस्यों को छठी मैया और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस महापर्व से जुड़े 10 बड़े (10 Questions for Chhath Puja 2024) सवालों के जवाब के बारे में।

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    सवाल- 2024 में छठ पूजा कब है?

    जवाब- पंचाग के अनुसार, इस बार महापर्व की शुरुआत 05 नवंबर से हुई है और इसका समापन 08 नवंबर को होगा।

    कार्तिक छठ पूजा कैलेंडर 2024

    नहाय खाय- 05 नवंबर 2024

    खरना- 06 नवंबर 2024

    शाम का अर्घ्य- 07 नवंबर

    सुबह का अर्घ्य- 08 नवंबर

    यह भी पढ़ें: Chhath 2024 Puja Samagri List: इन चीजों के बिना अधूरी है छठ पूजा, एक क्लिक में देखें सामग्री लिस्ट

    सवाल- छठ पूजा कैसे मनाते हैं?

    जवाब- पहले दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं।

    दूसरे दिन खरना पूजा होती है। इस दिन पूजा-अर्चना और प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत की शुरुआत होती है। छठ पूजा के दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

    तीसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

    अंतिम दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण करने के बाद लोगों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।

    सवाल- छठ पूजा सबसे पहले किसने की थी?

    जवाब- सनातन शास्त्रों में छठ पूजा का वर्णन देखने को मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, छठ पूजा के महापर्व का प्रारंभ महाभारत के दौरान हुई थी। सर्वप्रथम छठ पूजा की शुरुआत सूर्य देव का पुत्र कर्ण ने की थी।

    सवाल- छठ माता किसकी पत्नी हैं?

    जवाब- भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी छठी मैया हैं। इस महापर्व के दौरान विधिपूर्वक छठी मैया के संग सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है।

    सवाल- सपने में छठ पूजा देखने से क्या संकेत मिलते हैं?

    जवाब- सपने में छठ पूजा को देखना शुभ माना जाता है। सपने में छठ पूजा देखने से जीवन में कुछ अच्छे बदलाव आने के संकेत मिलते हैं।

    सवाल- बिहार में छठ पूजा कब है?

    जवाब- बिहार में छठ पूजा के पर्व को 05 नवंबर से लेकर 07 नवंबर तक मनाया जाएगा।

    सवाल- छठ पूजा करने से क्या फल मिलता है?

    जवाब- धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है।

    सवाल- छठ पूजा में खरना के दिन क्या खाया जाता है?

    जवाब- छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा के लिए चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है। छठी मैया की पूजा-अर्चना करने के बाद भोग लगाएं।

    सवाल- छठ पूजा का सामान क्या क्या होता है?

    जवाब- पीतल का पात्र, फल, सुपारी, चावल, सिंदूर, फूल, एक थाली, पान, गाय का घी,शहद, धूप, शकरकंदी, गुड़, सूप, पानी वाला नारियल, गुड़, अरवा का चाल, गंगा जल, बांस की दो बड़ी टोकरियां, ठेकुआ का भोग, गेहूं, चावल का आटा, 5 पत्तियां लगे हुए गन्ने समेत आदि।

    सवाल- छठ पूजा के बाद क्या खाना चाहिए?

    जवाब- छठ पूजा के बाद प्रसाद और शरबत का सेवन कर सकते हैं। भोजन में नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।

    यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2024: इस विधि से करें छठ पूजा का व्रत, सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।