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    Chhath Puja 2024 Sunrise Time: उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा छठ महापर्व, नोट करें शुभ मुहूर्त और नियम

    Updated: Thu, 07 Nov 2024 05:48 PM (IST)

    इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को हुई है। इस दौरान व्रती 36 घंटे का कठोर व्रत रखते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य (Chhath Puja 2024 Sunrise Time 8th November 2024) देकर व्रत का पारण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र व्रत को रखने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही छठी माता और भगवान सूर्य की कृपा मिलती है।

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    Chhath Puja 2024 Sunrise Time: उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा छठ महापर्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में छठ पूजा का व्रत बेहद विशेष माना जाता है। इस दौरान भक्त छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करते हैं और कठिन व्रत का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों तक चलता है। यह साल में दो बार चैत्र और कार्तिक माह में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह में आने वाले इस महापर्व (Chhath Puja 2024) की शुरुआत 5 नवंबर को हुई है। वहीं, इसका अंत 8 नवंबर यानी कल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य देना (Chhath Puja 2024 Sunrise Time) और सभी पूजन नियमों का पालन करना चाहिए, तभी व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।

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    सूर्योदय का समय

    8 नवंबर के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य (Arghya Timings) देकर छठ व्रत का समापन किया जाएगा। इस दिन (Auspicious Time Chhath Puja)सूर्योदय सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। वहीं, सूर्यास्त शाम 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य अर्घ्य के दौरान पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए। तभी पूजा का फल प्राप्त होता है।

    छठ पूजा पर सूर्य अर्घ्य देने का सही नियम (Chhath Puja Rituals)

    • सुबह उठकर स्नान-ध्यान करें।
    • सूर्योदय से पहले व्रती अपने परिवार के साथ घाट पर पहुंचें।
    • पानी में उतरकर उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
    • अर्घ्य समय के अनुसार दें।
    • दूध और जल से सूर्य देव को अर्घ्य दें।
    • फिर भगवान सूर्य को प्रणाम करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
    • सूर्य चालीसा का पाठ करें।
    • फिर धूप, दीप और कपूर से सूर्य देव की आरती करें।
    • सूर्य भगवान को फल, मिठाई, घर पर बने प्रसाद आदि का भोग लगाएं।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।
    • जल चढ़ाने के दौरान सिर से लोटा नीचें रखें।
    • लाल वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
    • सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

    सूर्य अर्घ्य मंत्र

    • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
    • ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।।
    • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
    • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।